तीर्थक्षेत्र कमेटी की गुल्लक योजना से जुड़िये- तीर्थों की सुरक्षा में सहयोग करिये – आ. सौभाग्य सागर

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9 मार्च/फाल्गुन शुक्ल सप्तमी, /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/

विवेक विहार दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य श्री सौभाग्य सागरजी ससंघ का पिछले 13 साल में 12 फरवरी को पहली बार आगमन हुआ। शुक्रवार 14 फरवरी को उन्हीं के सान्निध्य में मनोकामना सिद्धि विधान हुआ। धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि जैसे गृहस्थों में पति-पत्नी, माता-पिता, भाई-बहन आदि जोड़े होते हैं, ऐसे ही 4 जोड़े जैन धर्म में भी होते हैं – पूजा-अभिषेक, विधि-विधान, ग्रंथ-गाथा और श्रमण-श्रावक। आज वैदिक परम्परा वालों को कहा जाता है कि वे सूर्य का अर्ध्य चढ़ाते हैं, इसलिये सबसे ज्यादा मानते हैं, पर जैन उनसे ज्यादा मानते हैं। सब तो बस जल चढ़ाते हैं, पर जैन सूरज के निकलने से पहले भोजन नहीं करते, सूर्यास्त के बाद भी नहीं करते हैं, अब बताओ कौन ज्यादा मानता है? विधान में, पूजा में, भगवान के आगे कामना नहीं करें, भावना भाया करें, आप बस अपनी अर्जी लगाया करें, आपके कर्मों अनुसार देना, भगवान की मर्जी है।

वर्तमान में चल रही तीर्थों पर असुरक्षा, जीर्णोद्धार की आवश्यकता पर उन्होंने तीर्थों की यात्रा पर जोर दिया। उन्होंने कहा जब आप वहां जा नहीं सकते, तो वहां के लिये दान दीजिये। भारतवर्षीय दि. जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी की घर-घर गुल्लक योजना से जुड़ें। घर-घर गुल्लक में आपकी राशि सभी तीर्थों का पुण्य प्रदान करेगी। तीर्थों की सुरक्षा हम सबकी जिम्मेदारी है। उनके लिये अपनी-अपनी क्षमतानुसार योगदान दें। आज हर रोज इस तरह की खबरें सामने आ रही हैं, एक होकर जुड़िये, सहयोग करिये।

इस अवसर पर सान्ध्य महालक्ष्मी ने वर्तमान में तीर्थों की सुरक्षा में हर की भागीदारी पर जोर दिया। सभी से अपील की। आचार्य श्री सौभाग्य सागरजी के उद्बोधन पर वहां उपस्थित सभी ने तीर्थक्षेत्र की घर-घर गुल्लक योजना से जुड़ने की शुरूआत तत्काल कर दी।

आज अगर तीर्थों को सुरक्षित रखना है, तो हमें तीर्थों की यात्रा करनी होगी और उनके जीर्णोद्धार के लिये यथासंभव सहयोग करना होगा। तीर्थक्षेत्र कमेटी 2026-27 वर्ष में अपने 125 वर्ष पूरे कर रही है। आशा करें आने वाले वर्षों में हमारे तीर्थ सुरक्षित हो जायें।