मंगसिर शुक्ल दशमी, जो इस वर्ष 24 दिसंबर को है, इसी दिन 18वे तीर्थंकर श्री अरह नाथ जी को, शरद ऋतु के बादलों को नष्ट होता देख, वैराग्य की भावना बलवती हो गई और 30 धनुष कद वाले ,आपने अपनी जन्मस्थली हस्तिनापुर के सहेतुक वन की और अपनी वैजयंती पालकी बढ़ाने का आदेश दिया । और आम्र वृक्ष के नीचे , अपराहन काल में पंच मुष्टि केश लोंच कर 1000 राजाओं के साथ दीक्षा ले ली । 16 वर्ष का तप करके आपको केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई।
महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान में क्या ‘महावीर स्वामी दिगम्बर स्वरूप में नहीं...
॰ दिगम्बर जैन समाज ने मानो कर लीं आंखें बंद
॰ आचार्य श्री सुनील सागरजी ने राजस्थान उपमुख्यमंत्री को कहा
और चैनल महालक्ष्मी ने सौंपा ज्ञापन
30अक्टूबर...