18 मार्च/फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
चौबीस तीर्थंकरों भगंवतौ के पूर्व भव के नाम
आदि भगवान ऋषभदेव पूर्वभव में चक्रवर्ती तथा चौदह पूर्वों के धारक थे और शेष तीर्थंकर महामण्डलेश्वर और ग्यारह अंग के वेत्ता थे। उक्त सभी तीर्थंकर पूर्वभव में अपने शरीरों की अपेक्षा सुवर्ण के समान कान्ति वाले थे।सभी तीर्थंकरों ने पूर्वभव में सिंहनिष्क्रीडित तप कर एक महीने के उपवास के साथ प्रायोपगमन संन्यास धारण किया था और सभी यथायोग्य स्वर्गगामी थे— अपनी—अपनी साधना के अनुसार स्वर्गों में उत्पन्न हुए थे। भावार्थ— इन सभी तीर्थंकरों ने जिनके समीप दीक्षा लेकर सोलहकारण भावनाओं को भाकर तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया। पुन: किन—किन स्वर्ग आदि में उत्पन्न हुए पुन: कहाँ जन्म लिया है। इस प्रकार यहाँ उनके तीन भवों का परिचय दिया गया है।
वर्तमान के चौबीस तीर्थंकरों के नाम चौबीस तीर्थंकरों के तृतीय भव पूर्व (तीर्थंकर प्रकृति बंध का भव) के नाम(चक्रवर्ती या महामण्डलेश्वर) तृतीय भव पूर्व दीक्षा गुरु(तीर्थंकर या महामुनि) कहाँ से आए ? (द्वितीय भव पूर्व)(अहमिन्द्र या इन्द्र) वर्तमान में कहाँ जन्मे? (राजधानी)
१. श्री ऋषभदेव जी वज्रनाभि चक्रवर्ती वज्रसेन सर्वार्थसिद्धि से अयोध्या
२. श्री अजितनाथ जी विमल अरिन्दम विजय विमान से अयोध्या
३. श्री संभवनाथ जी विपुलवाहन स्वयंप्रभ अधोग्रैवेयक से श्रावस्ती
४ श्री अभिनंदन जी महाबल विमलवाहन विजय विमान से अयोध्या
५ श्री सुमितनाथ जी अतिबल सीमन्धर वैजयन्त विमान से अयोध्या
६ श्री पद्मप्रभ जी अपराजित पिहितास्रव उपरिम ग्रैवेयक से कौशाम्बी
७ श्री सुपार्श्वनाथ जी नन्दिषेण अरिन्दम मध्यम ग्रैवेयक से वाराणसी
८ श्री चन्द्रप्रभु जी पद्य युगन्धर वैजयन्त विमान से चन्द्रपुरी
९ श्री पुष्पदंतनाथ जी महापद्म सर्वजनानन्द आरण स्वर्ग से काकन्दी
१० श्री शीतलनाथ जी पद्मगुल्म उभयानन्द अच्युत स्वर्ग से भद्रिकापुरी
११ श्री श्रेयांसनाथ जी नलिनगुल्म वङ्कादत्त पुष्पोत्तर विमान से सिंहपुरी (सारनाथ)
१२ श्री वासुपूज्यनाथ जी पद्मोत्तर वङ्कानाभि महाशुक्र स्वर्ग से चम्पापुरी
१३ श्री विमलनाथ जी पद्मासन सर्वगुप्त सहस्त्रार स्वर्ग से कम्पिल जी
१४ श्री अनंतनाथ जी पद्म त्रिगुप्त पुष्पोत्तर विमान से अयोध्या
१५ श्री धर्मनाथ जी दशरथ चित्तरक्ष सर्वार्थसिद्धि से रत्नपुरी
१६ श्री शांतिनाथ जी मेघरथ विमलवाहन सर्वार्थसिद्धि से हस्तिनापुर
१७ श्री कुंथुनाथ जी सिंहरथ धनरथ सर्वार्थसिद्धि से हस्तिनापुर
१८ श्री अरहनाथ जी धनपति संवर जयन्त विमान से हस्तिनापुर
१९ श्री मल्लिनाथ जी वैश्रवण वरधर्म अपराजित विमान से मिथिलापुरी
२० श्री मुनिसुव्रतनाथ जी श्रीधर्म सुनन्द सहस्त्रार स्वर्ग से राजगृही
२१ श्री नमिनाथ जी सिद्धार्थ नन्द अपराजित विमान से मिथिलापुरी
२२ श्री नेमिनाथ जी सुप्रतिष्ठ व्यतीतशोक जयन्त विमान से शौरीपुर
२३ श्री पार्श्वनाथ जी आनन्द दामर सहस्त्रार स्वर्ग से वाराणसी
२४ श्री महावीर स्वामी नन्दन प्रोष्ठिल पुष्पोत्तर विमान से कुण्डलपुर (नालंदा) ya vaishali
जैनसुषमासुधीरकाला इन्दौर