11 अप्रैल 2022//चैत्र शुक्ल दशमी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
मां बनने की खुशी हर महिला को होती है, चाहे वो दासी हो या महारानी। और मां बनने में, इच्छा से ज्यादा देरी हो जाये, तो व्याकुलता स्वाभाविकता से झलकने लगती है। ऐसा ही हो रहा था महारानी त्रिशला के साथ। पर फिर एक बार, रात्रि के अन्तिम पहर में उन्होंने ऐसा स्वप्न देखा, जैसा पहले कभी नहीं, पूरा रहस्यमय, उसमें दिखे 16 क्रम से स्वप्न, मानो कुछ कहना चाह रहे हों, संकेत कर रहे हों। बस स्वप्न देखकर वह रोज की तरह उठी तो, पर आज कुछ व्याकुलता ज्यादा ही थी। तैयार हो गई महाराज सिद्धार्थ की राजसभा में जाने को, पर उसे लगा जैसे आज समय ठहर – सा गया है, पर समय कहां ठहरता है, वह उसी गति से बढ़ता है, न तेज, न धीरे।
राजसभा पहुंची, और राजा सिद्धार्थ ने उसके बैठने के लिये आधा सिंहासन समर्पित कर कुशलक्षेम पूछा, पर आज जवाब में मुस्कुराहट के साथ, चेहरे पर आश्चर्यजनक भाव प्रतीत हो रहे थे। महाराजा ने कहा – कहो प्रिये, क्या बात है? महारानी तत्काल बोली – आज अन्तिम पहर में मैंने कुछ रहस्यमयी 16 स्वप्न देखे हैं, उनका फल बताइये, और यह कहकर मानो एक लम्बी सांस में सभी 16 का वर्णन कर दिया। पूरी सभा सुन रही थी, पुरोहित भी, फिर उसके साथ मंत्रणा कर महाराज सिद्धार्थ ने उन 16 स्वप्नों का जो फल बताया, वह हम सभी को भी सुनना-जानना चाहिए।
1. मदोन्मत हाथी – जो गर्भ में आयेगा, वो तीर्थंकर बनेगा।
2. चन्द्रमा के सदृश शुभ कांतिवाला, गंभीर शब्द करता हुआ ऊंचे कंधों वाला बैल- यानि धर्मचक्र का संचालक होगा।
3. अपूर्व वृहद शरीर, लाल कंधे वाला सिंह – यानि वह कर्मरूपी हाथियों को विनष्ट करने वाला अनंत बल वाला होगा।
4. कमल रूपी सिंहसन पर विराजमान लक्ष्मी देवी का देव हस्तियों द्वारा स्नान यानि लक्ष्मी का अभिषेक, स्पष्ट है बालक का स्नान सुमेरु पर्वत पर इन्द्रादि देवों द्वारा कराया जाएगा।
5. एक साथ दो सुगंधित मालाएं यानि सुगंधित शरीर वाला और श्रेष्ठ ज्ञानी।
6. सारे संसार को आलोकित करते चन्द्रमा जो ताराओं से घिरा है यानि वह धर्म रूपी अमृत-वर्षा से भव्य जीवों को प्रसन्न करने वाला होगा।
7. उदयाचल पर्वत से निकलते सूर्य से खत्म होता अंधकार – यानि वह अज्ञान रूपी तिमिर का विनाशक और सूर्य की भांति तेज, कांतिवान।
8. कमलों के पत्तों से आच्छादित मुख वाले सोने के दो कलश- यानि अनेक निधियों का स्वामी और ज्ञान ध्यान रूपी अमृत का घर होगा।
9. कुमुदनी और कमलिनी से शोभायमान होते तालाब में दो क्रीड़ा करती मछलियां यानि सबके लिए कल्याणकारी और स्वयं महान सुखी।
10. कमलों की पीली रज से भरपूर तालाब यानि वह शुभ लक्षण और अनेक व्यंजनों से सुशोभित शरीरधारी।
11. गंभीर गर्जन करता हुआ चंचल तरंगों से युक्त समुद्र – यानि वह नौ केवल लब्धियों वाला केवलज्ञानी होगा।
12. देदीप्यमान मणि से युक्त ऊंचा सिंहासन – यानि वह महाराज पदवाच्य जगत का स्वामी होगा।
13. बहुमूल्य रत्नों से प्रकाशित हो रहा स्वर्ग का विमान – यानि वह स्वर्ग से आकर अवतार धारण करेगा।
14. पृथ्वी का भेद कर ऊपर की ओर आता हुआ फणीन्द्र, भवनवासी देव का ऊंचा नागेन्द्र भवन यानि अवधिज्ञानी को नेत्र को धारण करने वाला जन्म से ही होगा।
15. आकाश को प्रकाशित करती रत्नों की विशाल राशि – यानि वह सम्यग्दर्शन – ज्ञान – चारित्र आदि रत्नों की खान होगा।
16. निर्धूम अग्नि यानि कर्मरूपी र्इंधन को भस्म करने वाला।
इन 16 स्वप्नों को देखने के बाद महारानी त्रिशला ने ऊंचे शरीर वाले उत्तम हाथी को मुख कमल में प्रवेश करते देखा यानि तीर्थंकर बनने वाला बालक स्वर्ग में आयु पूर्ण कर उनके गर्भ में प्रवेश करेगा।
ये वो 16 स्वप्न हैं, जिस माता को दिख जाये, वह सौभाग्यशाली तीर्थंकर माता बनेगी। भाव बनाइये, ऐसे कर्म करिये कि जल्द आगामी भवों में आपको ये 16 स्वप्न नवविहिताता होने के बाद दिखाई दें।