प्राचीन तीर्थ, मंदिर आस्था के प्रमुख केंद्र , संरक्षण और संवर्द्धन जरूरी, नवीन क्षेत्र, मंदिर बनें परन्तु प्राचीन क्षेत्रों की उपेक्षा न हो : आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज

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12 मार्च 2023/ चैत्र कृष्ण पंचमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
ललितपुर, नवागढ़। महरौनी विकासखंड में स्थित दिगम्बर जैन प्रागैतिहासिक अतिशय क्षेत्र नवागढ़ में चर्या शिरोमणि आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज सहित 27 पिच्छिधारी दिगम्बर मुनिराजों के सान्निध्य में ब्र. जय निशांत भैया जी के निर्देशन में दो-दिवसीय नवागढ़ महोत्सव अभूतपूर्व, ऐतिहासिक सफलता के साथ सम्पन्न हुआ।

मूलनायक अरनाथ भगवान के महामस्तकाभिषेक में प्रथम कलश से महामस्तकाभिषेक अभय जैन प्रीति विहार दिल्ली, द्वितीय कलश इंजी. शिखरचंद जैन, डॉ. प्रदीप जैन, ब्र. जय कुमार निशांत, राजकुमार जैन पुष्प परिवार टीकमगढ़, तृतीय कलश राकेश जैन, अरिहंत जैन सोनीपत को सौभाग्य प्राप्त हुआ। शांतिधारा करने का सौभाग्य सुनील जैन प्रीत विहार दिल्ली व राकेश जैन सोनीपत को मिला। आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज का पाद प्रक्षालन राकेश जैन प्रीत विहार दिल्ली व शास्त्र भेंट करने का अवसर सुनील जैन दिल्ली ने किया।समस्त क्रियाविधि निशांत भैया के निर्देशन में प्रख्यात प्रतिष्ठाचार्य पंडित विनोद कुमार रजवास व पंडित मनीष जैन संजू के प्रतिष्ठाचार्यत्व में संपन्न हुई।

आचार्यश्री के सान्निध्य में त्यागीव्रती आवास का शिलान्यास हुआ जिसा सौभाग्य अभय कुमार-वर्षा जैन हीरापुर, इंजी. रघुवरदयाल जैन, इंजी. रवि जैन, शिखा जैन छतरपुर, डॉ. बाहुबली जैन, डॉ. त्रिशला जैन भीलवाड़ा को प्राप्त हुआ। आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ने अपने प्रवचनों में नवागढ़ क्षेत्र के श्रद्धालुओं की प्रशंसा करते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया। इसी प्रकार भगवान की पूजा, विधान करके अपने जीवन को मंगलमय बनाएं। उन्होंने कहा कि नवागढ़ जैसे क्षेत्रों का संरक्षण और संवर्द्धन जरूरी है, ये हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। नवीन क्षेत्र, मंदिर बनें परन्तु प्राचीन क्षेत्रों की उपेक्षा न हो। प्राचीन तीर्थ, मंदिर आस्था के केंद्र हैं, हमारी अमूल्य विरासत हैं। नवागढ़ तीर्थ भूमि प्राचीन विरासत, पुरातत्व को समेटे है।