तमिल जैन, मुख्य रूप से तमिलनाडु के उतरी भाग में, पिछले 35/40 वर्षो से आजीविका के लिए कर रहा संघर्ष , तमिल साहित्य के पांच महाकाव्य में से तीन का श्रेय जैनियों को

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8 जून 2022/ जयेष्ठ शुक्ल नवमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
तमिल जैन तमिलनाडु के तमिलियन है जो की जैन धर्म का अभ्यास करते है । वे मुख्य रूप से तमिलनाडु के उतरी भाग में रहते है मुख्यत मुदराई, विलप्पपुरम, कांचीपुरम, वेल्लोर , तंजावुर, तिरुवन्नामलाई आदि जिलों में रहते है । तमिल साहित्य के पांच महाकाव्य में से तीन का श्रेय जैनियों को जाता है ।

पाश्र्वनाथ तमिलनाडु के वंदवासी से एक तमिल जैन है और बंगलोर के एक स्कूल में पढ़ाते है वो कहते है अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं की तुम जैन कैसे हो सकते हो ; तुम दक्षिण भारतीय हो , क्या तुमने धर्म परिवर्तन क्या है ।
पाश्र्वनाथ कहते है अधिकांश जैन राजस्थान और गुजरात से है । उनके साथियों ने कभी तमिल जैन नही सुना उन्हे विश्वास नहीं होता की तमिल जैन भी होते है ।
बहुत से लोग तमिलनाडु में जैनियों के लंबे इतिहास को भूल गए है ।

तमिल जैन ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में रहते है और किसान परिवार से ताल्लुक रखते है , सार्वजनिक क्षेत्र में बहुत कम या न के बराबर उपस्थिथति हैं। कृषि भूमि परती पड़ी है । घटती आबादी और गावो से पलायन बड़ी समस्या बनती जा रही है ।

के. अजीतदास तमिल जैन है । वे चेन्नई के वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर है उनका कहना है ।
तमिलनाडु में प्रसिद्ध उत्तर भारतीय जैन समुदाय की तमिल जैन की लगभग अदृश्यता की तुलना करे । वे भी एक छोटी आबादी है तमिल जैनों की अपेक्षा ,
लेकिन वे प्रमुख व्यवसाई है वे स्कूल और कॉलेज चलाते हैं और कई मंदिरों का निर्माण किया है ।

अकेले चेन्नई में उतर भारतीय जैनों द्वारा बनाए गए मंदिरों की संख्या तमिल जैन मंदिर से भी अधिक है
चेन्नई में 18 तमिल जैन मंदिर है जो की 1500 तमिल जैन परिवार चलाते है । तमिल जैन मंदिर द्रविड शैली के बने होते है और उनकी अपनी परंपरा होती है ।

तमिल जैन स्कूल के शिक्षक जयराजन का कहना है की उनका समुदाय पिछले 35/40 वर्षो से आजीविका के लिए संघर्ष कर रहा है । ऐसी परिस्थिति में हमारे पास अधिक व्यक्तित्व नही होगा ।