मुझे नरक जाना मंजुर है लेकिन मंदिर गुरु तीर्थक्षेत्र में जाकर नर्क में जाना पड़े तो मैं जाऊंगा और होटल से स्वर्ग भी जाना पड़े तो नहीं जाऊंगा- मुनिपुंगव श्री सुधासागर

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देशनोदय चवलेश्वर – निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव महातपोमार्तंड 108श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
बुरे भावों से मन्दिर जाना पडेतो जाओ, चाहे नरक जाना पडे
1.मंदिर से नरक जाना-मंदिर जाऊंगा चाहे मेरे मन में बुरे भाव आये या नहीं,मंदिर में जाकर मन बिगड़ता है फिर भी मंदिर जाऊंगा, मंदिर में मन बिगड़ने पर नरक जाऊंगा, फिर भी मंदिर जाऊंगा और स्वर्ग जाने के लिए होटल गार्डन में जाने पर स्वर्ग जाओगे, सम्यक दृष्टि कहता है मुझे नरक जाना मंजुर है लेकिन मंदिर गुरु तीर्थक्षेत्र में जाकर नर्क में जाना पड़े तो मैं जाऊंगा और होटल से स्वर्ग भी जाना पड़े तो नहीं जाऊंगा।
2.भारत की भुमि-भारत देश तीर्थंकर की भूमि हैं वहा हमारा जन्म हुआ हम वहा की हवाएं खा रहे हैं जहां तीर्थंकर ने हवाएं ली भगवान की वाणी खिरी हम ऐसी धरती पर विराजमान जहां भगवान आए थे
3.आत्मा की चिंता-धर्म दुखी नहीं करता लोगों की यह धारणा है कि हमे करता है जो सुख हम खोज रहे हैं वह कर्म के निमित्त हैं। गृहस्थ को अपनी आत्मा को शुद्ध करने का समय ही नहीं है वह भाव भी नहीं कर पाता शुद्ध आत्मा के स्वरूप की भावना भाले तो संसार नष्ट हो जाएगा।
4.दुख का सैलाब-अतीत में जो दुख हमें आए लेकिन जब खुशी तो ऐसी आयी की अतीत के दुखों को भूल जाए वो खुशी आई, उसमे ताकत थी अतीत के दुखो को भुलने की लेकिन ज्यादा दिन तक सुख नहीं टिक पाये कोई दुखों का सैलाब आ गया हम सब सुख के दिनों को मे दुखो को भूल जाएं।
प्रवचन से शिक्षा-भारत देश तीर्थंकर,पुण्यात्मा की भुमि हैं।
सकंलन ब्र महावीर