11 जुलाई 2022/ आषाढ़ शुक्ल दवादिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ प्रवीन कुमार जैन
सूर्यनगर : श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर,सूर्यनगर में धर्म रूपी सूर्य हमेशा निकला रहता है
– मुनि प्रतिज्ञानंदजी
प.पू. आचार्य श्री प्रज्ञसागरजी के परम शिष्य वात्सल्य मूर्ति मुनि श्री प्रतिज्ञानंद जी महाराज का चतुर्थ चातुर्मास हेतु संस्कारों की नगरी सूर्यनगर गाजियाबाद में 10 जुलाई को मंगल प्रवेश समाज के बच्चों के द्वारा बजाये जा रहे बैंड बाजे और वाद्य यंत्रों से हुआ। मुनि श्री का मंगल कलश स्थापना 15 जुलाई को प्रात: 8.30 बजे श्रीमंदिरजी में ही होगा।
मंगल प्रवेश के समय पुरुष वर्ग, बच्चों का बैंड ध्वल वस्त्रों में तथा महिलाएं पीत वस्त्रों में सुशोभित हो रही थी। बहुत ही अनुशासनबद्ध तरीके से मंदिरजी के द्वार पर बच्चों के बैंड ने महाराजश्री की तीन परिक्रमा लगाकर अपनी भक्ति का परिचय दिया तो महाराजश्री ने प्रत्येक बच्चे को आशीर्वाद प्रदान किया। पाद-प्रक्षालन, आरती तथा भक्तिपूर्ण प्रवेश को देखकर सान्ध्य महालक्ष्मी टीम गदगद हो उठी।
मंदिर में प्रवेश करते ही गुरुवर ने भगवान शांतिनाथ के दर्शन किये और आसन पर बैठते ही मंगल प्रवचन में कहा कि ये सूर्यनगर है, जहां धर्मरूपी सूय हमेशा निकला रहता है। आप बहुत पुण्यवान हैं कि आपके यहां भगवान शांतिनाथ विराजमान हैं। भगवान की शक्ति की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि कोई जहरीला सांप कांट ले तो गरुण मंत्र से उसका विष उतारा जा सकता है, लेकिन भगवान में इतनी शक्ति है कि सिद्दालय में बैठे-बैठे ही भक्तों के कष्ट दूर करते हैं।
भगवान हमारे हृदय में सर्वदा विराजमन रहेंगे, तो तुमसे कोई अपराध नहीं होगा। आठ कर्मों का नाश धीरे-धीरे करते जाएं। इसके अलावा कोई इच्छा रहीत है तो हम दरिद्र हैं। जैसे भगवान है, आप भी ऐसा ही बनइये। आपमें भी शक्ति है, मोक्ष की सीढ़ी लगी है, एक-एक करके डंडे पर चढ़ना है। पंचम काल में आप सातवें गुणस्थान तो पहुंच ही सकते हैं और जो यहां तक पहुंच गया, समझो वह कभी न कभी निश्चित रूप से 14वें गुणस्थान पर पहुंचेगा। हम जैन बहुत शक्तिशाली, पुण्यशाली हैं क्योंकि हमें पता है परम सुख कैसे प्राप्त किया जा सकता है।