फाल्गुन कृष्ण सप्तमी (5 मार्च): सुपार्श्वनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक : एक समय में इस धरा को छोड़ पहुंच गये सिद्धालय

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1932

 

जब सुपार्श्वनाथ भगवान का आयु कर्म मात्र एक माह शेष रह गया, तो आप पहुंच गये अनादि निधन तीर्थ सम्मेद शिखरजी और फिर इसी प्रभास कूट से आप फाल्गुन कृष्ण सप्तमी (5 मार्च) को पूर्वान्ह काल में 500 मुनिराजों के साथ एक समय में इस धरा को छोड़ सिद्धालय पहुंच गये। इस कूट से 49 कोड़ा कोड़ी, 84 करोड़ 72 लाख, 7 हजार, 742 मुनिराज मोक्ष गये।

सुपार्श्वनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक के पावन पुनीत अवसर पर सामान्य परिचय

सत्तम तीर्थंकर

नाम – सुपार्श्वनाथ जी

कहां से आये – मध्य ग्रैवेयक

जन्म भूमि – वाराणसी

वंश – उग्र वंश

पिता –  सुप्रतिष्ठ

माता – पृथ्वि

गर्भ तिथि – भाद्र शुक्ल 6

चिन्ह – चन्द्रमा

जन्म तिथि –  ज्येष्ठ शुक्ल 12

शरीर वर्ण – इन्द्रनील प्रभा समान हरित

शरीर की ऊंचाई – 200 धनुष

केवली काल  – 20 पूर्वांग + 9 वर्ष कम – 1 लाख पूर्व वर्ष

वैराग्य निमित्त – वन लक्ष्मी का नाश

दीक्षित राजा – एक हजार

योग निरोध – 1 मास पहले

समोशरण विस्तार – नौ योजन

कुल गणधर – 95

मुख्य गणधर – बलदत्त (बली)

मुख्य गणिनी – मीन श्री

मोक्ष तिथि – फाल्गुन कृष्ण 7

मोक्ष स्थान – सम्मेद शिखर (प्रभासकूट)

*बाल ब्रम्हचारी राजेश “चैतन्य” अहमदाबाद