धर्म को आज लोगों ने क्या समझ लिया, सिर्फ क्रियाकांड, भीड, शोर, मनोरंजन को ही धर्म समझ लिया: आचार्य श्री सुनीलसागरजी

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23 जुलाई 2023/ श्रावण अधिमास शुक्ल पंचमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
शुद्धात्मा का श्रद्धान होगा,
निज आत्मा तब भगवान होगी

लोग धर्म तो कर रहे है, परंतु धर्म को समझे बिना ही चले जा रहे है। क्रियाकांड, भीड, शोर, मनोरंजन को ही धर्म समझ लिया। मार्ग तो वह है जो वस्तु का स्वभाव है, निज आत्म तत्व की प्राप्ति का नाम ही धर्म है। चेतना, ज्ञान धन है, यह ध्यान में लाना होगा। समयसार जी में आचार्य श्री कुंदकुंद स्वामी गाथा 13 मैं कहते है

निश्चय नय से निर्णय किये हुये जीव, अजीव, आश्रव, बंध, संवर, निर्जरा, मोक्ष, पुण्य और पाप ये नव पदार्थ सम्यक्त्व कहे है। भुतार्थ रूप से माने गये 9 पदार्थ को व्यक्ति जानले, समझले तो उसे सम्यक् दर्शन हो जायेगा।
मोती, गेहूँ में मिलाओ, चाहे किचड में मिलाओ, तो भी मोती तो मोती ही रहेगा वैसे ही आत्मा चाहे किसी भी पर्याय में देह में चले जाये तो भी आत्मा तो आत्मा ही रहेगी

कोई कहता है कि चेतन (आत्मा) को पहचान लिया तो बस ।
पर ज्ञानी! चेतन के साथ साथ तन को भी जानना होगा। जीव को जानना है, तो अजीव, आश्रव संवर को भी जानना होगा। जैसे भोगों में मगन होते है, वैसे भगवान में हो जाये तो जीव भव से पार हो जाये सत् का नाश नही होता असत् का
उत्पाद नही होता आत्मा समाप्त नही होती । इतना समझ जाओ तो इन्सान भगवान बन जाये। सबका मंगल हो।

ऋषभविहार में विराजित आचार्य भगवन श्री सुनीलसागरजी । गुरुदेव के सानिध्य में “सन्मति विधान” का आयोजन नरवाली के गुरुभक्त तालवाडियाँ परिवार की ओर से किया गया।