धन यदि गया गया नही कुछ भी,स्वास्थ गया कुछ जाता है,सदाचार यदि गया मनुज का सर्वस्व ही लूट जाता है : आचार्य श्री सुनील सागर जी

0
613

31 मई 2023 / जयेष्ठ शुक्ल एकादशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
दिल्ली के जागृति एनक्लेव में ग्रीष्मकालीन वाचना के अंतर्गत धर्म सभा में आचार्य श्री सुनील सागर जी मुनिराज ने कहा कि भगवान मेरी नैय्या, उसपार लगा देना अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना।
जीवन में कई मोड आते है जहाँ परिवार बिगडने लगता है, तकलीफ होने लगती है, मन अशांत होने लगता, तनाव के कई क्षण आते है। ऐसे में एक छोटी सी प्रार्थना करना चाहिए। हे भगवन अब तक तो जैसे तैसे पार हो गये आगे भी निभाना । जीवन भर चिंता लगी रहती है, बेटी अच्छे परिवार में जाये, बेटा कही गलत संगत में ना पड़ जाये, शरीर स्वस्थ रहे, क्लेश ना हो, सुबह सुबह शुभ प्रार्थना करते है तो सकारात्मक बनते है।
चारित्र ही सबसे बड़ी संपत्ति है।

प्रवचनसार के गाथा नं. 7 में कुंदकुंद स्वामी कहा है चारितां खलु धम्मो ” चारित्र ही धर्म है
धन यदि गया गया नही कुछ भी,
स्वास्थ गया कुछ जाता है,
सदाचार यदि गया मनुज का
सर्वस्व ही लूट जाता है।
“If Wealth is lost Nothing is lost”
“If Health is lost Something is lost”
“IF Chatector is lost Everything is lost”

प्रश्नोत्तर रत्नमालिका में श्लोक नं. 20 में कहते है पूज्य कौन है?→ सद्वृत्त व्यक्ति । पूजा चारित्र की होती है। कितने भी बडे बडे पंडीत, विद्वान नामधारी स्वामी हो गये, ऐसऐसे लोगो को आप खिलाओगे पिलाओगे, व तिलक भी लगाओगे परंतु क्या आप उसकी अष्ठ द्रव्य से पूजा नही करोगे, क्योंकि आपको पता है उदक चंदन किसके आगे बोलना चाहिए। जो चारित्र-वान उसी की पूजा होती है। चारित्र और अध्यात्म के साथ जो होता है वह पूजनीय है।,

चारित्र ही सबसे बड़ा धन है। चारित्र ही मनुष्य की सबसे बड़ी संपत्ति है। मोक्षमार्ग ही ऐसा मार्ग है जहाँ पिता द्वारा चरित्रवान मुनि बेटा पूजा जाता है, चारित्र धारण करने पर दादा, दादी, नाना-नानी भी पूजा करते है। संयम की पूजा है। निर्धन कौन है?- जिसका चारित्र चलित हो गया। श्रावक का धन रुपया-पैसा है और
साधु का धन तप और चारित्र है। तप और चारित्र नही तो साधु साधु नही l चलित वृत्ति चारित्र वाला निर्धन है । जगत को जितने वाला कौन है? → सत्य और सहनशील पुरुष। जो हमेशा सत्य बोलता है, और हर प्रकार की परिस्थिती में सहनशील व्यक्ति जगत को जीतने वाला होता है।

सज्जनो! मर्यादा शील चारित्र को धारण कर सत्यवान और सहनशील बने। यही मंगल भावना, सबका मंगल हो