31 मार्च 2024 / चैत्र कृष्ण षष्ठी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
जयपुर। प्राकृताचार्य श्री सुनील सागरजी ससंघ का रविवार 24 मार्च को खनियाजी में भव्य मंगल प्रवेश हुआ। मानस्तम्भ वेदी प्रतिष्ठा महोत्व में राणा जी का परिवार श्यामनगर, विवेक विहार, निर्माण नगर, जौहरी बाजार, मानसरोवर से सभी श्रावक सम्मिलित हुए। यहां विराजित वासुपूज्य भगवान की सुंदर प्रतिमा के दर्शन हुए।
आचार्य श्री सुनील सागरजी ने कहा कुछ अच्छा काम कर लो, क्योंकि धर्म और पुण्य ही आपके साथ जाने वाला है। मंदिरजी बनाओ, लेकिन साथ में संत-साधुओं का विहार हो सके, रुकने के लिए हर 10 किमी पर एक संत भवन जरूर हो। संसार की सारी प्रोपर्टी यही रह जाने वाली है, लेकिन संतों के सान्निध्य में उनकी सेवा करके जो पुण्य कमाओगे वह आपके साथ रहेगा। भोगियों की सेवा में हर किसी का पैसा चला जाता है, लेकिन योगियों की सेवा में किसी पुण्यशाली का ही पैसा लगता है। आचार्य श्री सुनील सागरजी के सान्निध्य में वैशाली जयपुर में 27 मार्च को पंचकल्याणक प्रारंभ हुआ जो 01 अप्रैल तक चलेगा। उसके बाद श्री दिगंबर जैन मंदिर गोदीकान्, नामदेव चौक, सांगानेर, जयपुर में 01 से 03 अप्रैल तक वेदी प्रतिष्ठा, आदिनाथ जन्म कल्याणक एवं रथयात्रा महोत्सव मनाया जाएगा।
सोना तपने से शुद्ध बनता है, संत जितना तपता है उतना ऊर्जावान हो जाता है – आचार्य श्री सुनील सागरजी
21 मार्च : वैशाली जयपुर पहुंचने से पूर्व झह गांव में आचार्य श्री ने कहा – सोना जितना तपता है, उतना निखरता है और संत जितना तपता है तो उतना ऊर्जावान होता है। श्रावक भक्तिपूर्वक दिगंबर संतों की सेवा करते है। जैसे छोटे बच्चे के मन में किसी प्रकार का पाप नहीं होता, निष्पाप होता है, वैसे ही संत नग्न दिगंबर होते हैं, उनके मन में कोई विकार नहीं होता। किसी जीव को मन-वचन-काय से दुखी नहीं करना वास्तविक अहिंसा है
जयपुर से श्री महावीरजी के बीच हर 10-12 किमी पर बनने चाहिए संत विश्राम स्थल
आचार्य श्री ने कहा संत विहार करते हैं तो बीच-बीच में विश्राम स्थल बनाने चाहिए। जयुपर से श्री महावीरजी के बीच में 10-12 किमी पर साधुओं के रुकने की या आहार की व्यवस्था के लिए विश्राम गृह बनने चाहिए। ऐसी जगह चिह्नित करें जहां गांव के लोग भी उसका उपयोग धार्मिक, सामाजिक पारिवारिक कार्यों के लिये कर सकें।
मंदिर के साथ समाज का जीर्णोद्धार भी जरूरी
22 मार्च 2023 : जयपुर के पूर्वी सिंह द्वार स्थित अतिशय क्षेत्र चूलगिरी राणा जी की नसिया में प्रवेश पर आचार्य श्री सुनील सागरजी ने कहा कि जिस प्रकार मन्दिरों व मानस्तम्भों का जीर्णोद्धार जरूरी है उसी प्रकार समाज का जीर्णोद्धार भी आवश्यक है जिससे युवाओं को सही दिशा मिल सके।
आचार्य श्री ने कहा जिस प्रकार दूध का मंथन होता है, तब मक्खन की प्राप्ति होती है। उसी प्रकार विचारों का मंथन होता है तभी नवनीत की प्राप्ति होती है। उन्होंने चेताते हुए कहा की पुरखों के सद्गुुणों को जानना भी चाहिए और निभाना भी चाहिए, हमें पुरखों ने बड़ी सौगात प्रदान की है। उनका संरक्षण संवर्धन होना अति आवश्यक कार्य है। लक्ष्मी भी पुण्य की दासी होती हैं, अत: लक्ष्मी के पीछे नहीं, पुण्य के पीछे लगो अर्थात पुण्य की क्रियायों में भी समय व्यतीत करो लक्ष्मी स्वयं चली आएगी। भक्ति करो फल मिलता है, आज नहीं तो कल मिलता है।
आचार्य विमल सागर के 72वें दीक्षा दिवस पर गुणानुवाद
आचार्य विमल सागर महाराज के 72वें दीक्षा दिवस पर आचार्य श्री सुनील सागरजी ने कहा कि कोसमा की धरती पर कटोरी से जन्मे सागर ने संपूर्ण भारत को जैनत्व का भान कराया, तो विहारी लाल के पुत्र ने पद विहार कर अनेकों तीर्थों की वंदना की। धर्म जागृति संस्थान के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री संजय जैन बड़जात्या कामां ने कहा कि प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ की जन्म जयंती का भी सरकार द्वारा अवकाश घोषित किया जाए।