जिस प्रकार आत्मकल्याण के लिए भीतर डूबना जरूरी है, उसी प्रकार प्रभावना और जिनधर्म की सुरक्षा के लिए बाहर झुझना होगा, आँख बंद कर के सोने का नाटक करने वाले को हम जगा नही सकते, स्वयं सक्रियता से काम करना होगा: आचार्य श्री सुनीलसागरजी

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27 जुलाई 2023/ श्रावण अधिमास शुक्ल नवमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
पूज्य आचार्य श्री सुनीलसागरजी गुरुदेव ऋषभ विहार, दिल्ली NCR में अपने मधुर वचनों सें प्रतिदिन धर्म की गंगा बहा रहे है। पूज्य गुरुदेव ने अपने उदबोधन में कहा-
सत्य को कहने के लिए किसी शपथ की जरूरत नहीं,
नदीयों को बहने के लिए किसी पथ की जरूरत नहीं,
जो बढ़ते है अपने मजबूत इरादों पर,
उन्हें किसी रथ की जरूरत नहीं होती।

किसी भी मार्ग बढ़ना हो या मोक्षमार्ग मे बढ़ना है, तो मजबूत इरादों की जरूरत होती है। भगवान महावीर स्वामी का 2550 वाँ निर्वाण महा महोत्सव हमारे सन्मुख है उसके प्रभावना के लिए हमारे इरादे मजबूत होने चाहिए अगर हमारे इरादे मजबूत नही तो उपलब्धी भी मजबूत नहीं होती।

जब दुनियाँ में भयंकर मिथ्यात्व , और जानवरों की हिंसा आदि का माहौल फैला हुआ था, ऐसे खतरनाक माहोल में भी महावीर स्वामी ने अहिंसा की गुंज उठाई जो आज 2550 वर्ष बाद भी गुंजायमान है। उनके इरादे मजबूत थे, मोक्षमार्ग पर बड़े और तपस्या करके सिद्ध बनकर सिद्धशिला पर विराजमान हो गये।

जिनधर्म की प्रभावना प्रायोगिक होकर करनी चाहिए। जिस प्रकार आत्मकल्याण के लिए भीतर डूबना जरूरी है उसी प्रकार प्रभावना और जिनधर्म की सुरक्षा के लिए बाहर झुझना होगा। आँख बंद कर के सोने का नाटक करने वाले को हम जगा नही सकते स्वयं सक्रियता से काम करना होगा।

देश के लिए तो कर्तव्य करते ही है और आगे भी करते रहेंगे पर जिनधर्म के लिए योग्य अधिकार मिलने चाहिए। जैन साधु संतों के साथ विहार में प्रशासन होना चाहिए। भक्ति और श्रद्धा का सम्मान होना चाहिए। इसलिए कुछ उपक्रम करना चाहिए। समाज का नेतृत्व करते हुये, “धर्म की रक्षा करनी चाहिए। अध्यात्मिकता के साथ साथ व्यवहारिकता भी जरूरी है। अंतर्मुखता के साथ साथ बहिर्मुखता भी जरूरी है।

अहिंसा व सत्य का नाद कोने कोने तक गुंजे और सारी दुनियाँ में भगवान महावीर के 2550 वें निर्माण महोत्सव में जुड़े। इस दीपावली पर महावीराष्टक स्तोत्र का दीपार्चन एक समय पर पूरी दुनियाँ में हो।
कमलिनी के पत्ते पानी मे डूबे हो तो उसे सूखने में कितना समय लगेगा थोड़ा ही समय लगेगा वैसे ही आत्मा पर लगे विषय और विकारों को पुरुषार्थ करके अलग किया जाये तो परमात्मा बनने में देर नही लगेगी