प्रतापगढ़। आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कषाय के पास में लोग कसते जा रहे हैं, मोह में फंसते जा रहे हैं, अधर्म की ओर जाते हुए दलदल में फंस रहे हैं। धर्म करते हुए भी धर्म के नाम पर अधर्म कर रहे हैं। जब तक निष्कास्यता नहीं आती तब तक जीवन में आनंद नहीं आता। जीवन में बड़ी कठिनाई है, उस पर बनावट, सजावट के कारण केवल थकावट ही हाथ लगती है।
आयोजन से जुड़े महावीर चंडालिया ने बताया कि आचार्य श्री ने कहा कि सच्चे देव गुरु वस्तुस्थिति बताकर उन पर चलना सिखाते हैं। शास्त्र मोक्ष मार्ग का जीपीएस है जो सही सूचना और मार्ग बताते हैं। इनके प्रति आस्था, भक्ति ही जीवन को निराकुल बनाती है। ऐसे में हमारे जीवन में आदर्श सितारा ना हो तो उससे बड़ी शर्म की बात नहीं। जीवन में कोई न कोई आदर्श जरूर होना चाहिए, ताकि उनके माध्यम से जीवन के उतार-चढ़ाव में घबराएं नहीं, विचलित नहीं हो सकें। हम और आप भी ऐसे काम करें ताकि दूसरों के लिए आदर्श बन सके।
आचार्य ने कहा कि साधु की संगत ही धर्म का कारण है। जीवन भर में जो कर्म किए उसका फल अंतिम समय में दिखता है। नाटकबाज, कलाकारों की तरह नाटकपन हमारा आदर्श नहीं हो सकता। यह हमारी संस्कृति संस्कारों के विरुद्ध प्रवृत्ति हैं। जीवन में यह नहीं कि समस्या ना हो। चारों और अशांति में भी अपने परिवार, समाज के पास रहकर उनके साथ समय बिताना, सार संभाल करना ही अशांति का निवारण है। वैसे ही हम अपने निज आत्मतत्व को संभालकर शांति का अनुभव करें। इस अवसर पर संघस्थ मुनिराज सुधेय सागर जी महाराज और संपूज्य सागर जी महाराज का केशलोच भी हुआ।
इससे पूर्व आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज का नगर में ससंघ मंगल प्रवेश हुआ। इस मौके पर समाजजनों ने जगह-जगह आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन किया। इस अवसर पर समूचे शहर को सजाया गया था। आचार्यश्री का सुबह 9 बजे जूना मंदिर में प्रवेश हुआ। इसके बाद तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मति सागर के 83वें अवतरण दिवस पर गुरु मंदिर में गुरुदेव की प्रतिमा काअभिषेक किया गया। दोपहर 1 बजे सन्मति विधान, 2 बजे गुरू पूजन और आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज का 14वां पदारोहण दिवस मनाया गया। जिसमें गुरुदेव को अर्घ्य चढ़ाया गया। दोपहर की सभा में गजेंद्र चंडालिया, सभापति रामकन्या गुर्जर, उप सभापति सेवंतीलाल चंडालिया सहित नगर परिषद के कई पार्षदों ने शिरक़त की। कार्यक्रम में पूर्वाचार्यों की तस्वीरों का अनावरण कर दीप प्रज्वलन, अंकलीकर एवं जैनाचार्य पुस्तक का विमोचन किया गया। वहीं यह भी संयोग रहा कि इस दौरान दोनों जैन परंपरा के आचार्यों का मिलन हुआ। हाई स्कूल रोड स्थिति जिनिंग में दिगंबर परंपरा के आचार्य सुनील सागर जी महाराज और श्वेतांबर परंपरा के आचार्यश्री नवोदय सागर सूरीश्वर,जी ज्योतिष आचार्य जिनरत्न सागर सूरीश्वरजी, आचार्य जीतरत्न सागर सूरीश्वरजी, आचार्य चन्द्ररत्न सागर सूरीश्वर जी का ऐतिहासिक मिलन हुआ।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी