दृढ़ संकल्पित जैन समाज की अनुमोदना करने महागुरु के समक्ष निवेदन करने पधारे यक्ष नागकुमार देव
श्री अंदेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की जय
श्री आदि-कीर्ति-विमल-सन्मति-सुनील गुरुभ्यो नमः
राष्ट्र गौरव चतुर्थ पट्टाचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरुराज ससंघ मई-जून 2021 में शेषपुर मोड़ पर विद्यमान थे तब से ही अनवरत कुशलगढ़ की संगठित जैन समाज अपने नायाब नेतृत्व के धनी सेठ श्रीमान जयंतीलाल जी के निर्देशन में पूज्य आचार्य श्री संघ को पावन पवित्र अतिशयकारी तीर्थ क्षेत्र श्री अंदेश्वर पार्श्वनाथ पर वर्षायोग हेतु निवेदन करने आ रही थी।
लेकिन आचार्य श्री उनको यही कह रहे थे कि आप क्यो प्रयास कर रहे है? अब हमे 130 किमी वापस पीछे जाना ही नही है हमे तो आगे निकलना है ऐसे व्यक्तव्य के साथ गुरु संघ का सिपुर की ओर विहार हो गया लेकिन मजबूत इरादों को पाले कुशलगढ़ जैन समाज फिर भी विहार में हर गाँव मे उनसे निवेदन करने आते रही,गुरु संघ अपना पूरा मानस सिपुर के लिए बना चुका था उधर सिपुर के ट्रस्टी भी दिनरात एक करके सिपुर तीर्थ पर वर्षायोग हेतु व्यवस्था को अंजाम दे रहे थे।
गुरुदेव ससंघ के कदम अब सिपुर में मंगल प्रवेश कर चुके थे।फिर भी अंदेश्वर पार्श्वनाथ जिनालय के जीर्णोद्धार के लिए कमर कस चुकी कुशलगढ़ की जैन समाज वहाँ भी अनुरोध हेतु पहुची थी लेकिन तब तक भी आचार्य श्री ने अस्वीकृति का ही संकेत दिया था
वर्षायोग घोषणा के ठीक दो दिन पहले रात को आचार्य श्री ने स्वप्न में देखा कि एक विशाल नाग के साथ अतिसुन्दर देवकुमार दिखाई दिया जो उनके पास आ रहे है,तब आचार्य श्री ने उस कुमार से कहा भाई इस नाग को वही रोको तो उस दिव्य कुमार ने कहा स्वामी ये किसी को क्षति नही पहुँचाएगा बल्कि हम तो आपके चरणों को वन्दन करने व अनुरोध करने आये है
फिर वह नाग आचार्य श्री के चरणों मे नत मस्तक होकर उनके पैरों के अंगूठे पर अपना फण रखकर विनय करने लगा और दिव्य युवक भी उन्हें वापस पावन पवित्र अंदेश्वर तीर्थ पर पधारने का अनुरोध करता है
दूसरे दिन आचार्य श्री अपने संघ को कहते है आज से 25 वर्ष पुर्व मेने स्वप्न में ऐसे ही नाग व दिव्य युवक को देखा था जिसके अगले ही दिन मेने तीन लोक में सबसे पूज्य मुनि दीक्षा को पाया था और आज रात्रि में पुनः मेने नाग व दिव्य कुमार को विनय अनुरोध पूर्वक देखा था।
निश्चित ही अंदेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ क्षेत्र के जीर्णोद्धार के लिए वहाँ के यक्ष अनुरोध कर रहे थे। वैसे भी दादागुरु आचार्य श्री विमलसागर जी ने वहाँ चौबीसी के निर्माण की सानिध्यता दी तो गुरुदेव तपस्वी सम्राट ने वहां मानस्तम्भ के निर्माण की सानिध्यता दी इसलिए अब आगे के पूर्ण कार्य के लिए हमे सानिध्यता देनी होगी
यह स्वप्न भी शुभ संकेत है अगले ही दिन कुशलगढ़ की समस्त जैन समाज संगठित होकर सिपुर पर पधारी जहाँ आचार्य श्री सुनीलसागर जी गुरूराज द्वारा वर्षायोग की घोषणा होनी थी,अनेक नगरों से पधारी जैन समाज के सभी लोगो के मन मे उत्सुकता थी।
अंत मे गुरुदेव ने भरी सभा मे वागड का सबसे महान अतिशयकारी तीर्थक्षेत्र श्री अंदेश्वर पार्श्वनाथ में वर्षायोग की घोषणा कर दी।
वास्तव में ये सेठ जयंतीलाल जी की 40 वर्षो से तीर्थ क्षेत्र के प्रति समर्पण व कुशलगढ़ जैन समाज के अटल इरादों का ही परिणाम है कि उनके इस पुरुषार्थ की अनुमोदना करने यक्ष नागकुमार देव भी सम्मिलित हो गए
-शाह मधोक जैन चितरी