पहले बातचीत से हल निकालिये, न निकले तो साम-दाम- दण्ड-भेद से हल निकाले : आचार्य श्री सुनील सागर

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08 सितंबर 2024/ भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी पंचमी//चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/शरद जैन /
॰ चल-अचल तीर्थों पर हमले हमारे बिखराव के कारण : बाबू जम्बू प्रसाद जैन
॰ तीर्थक्षेत्र कमेटी विवादों के हल के लिये गंभीर – अशोक जैन पाटनी

किशनगढ़। श्रीकृष्णजी के जीवन से यह सीख मिलती है कि जिंदगी में मौका मिले तो किसी के सारथी बन जाना, चाहे समाज के, धर्म के, संस्था के, परिवार के, पर स्वार्थी कभी मत बनना। सारथी औरों को भी आगे ले जाता है और स्वार्थी उनके जीवन का भी दोहन कर लेता है। अपने जीवन में सद्गृहस्थ-सम्राट क्या कर सकता है, उसका श्रेष्ठ उदाहरण है श्रीकृष्ण का जीवन। अवसर था जन्माष्टमी का और किशनगढ़ में धर्मसभा को आचार्य श्री सुनील सागरजी ने तीर्थों की सुरक्षा व संरक्षण के लिये श्रीकृष्णजी के चारित्र के लिये प्रेरित किया। कारण भी बन गया था, तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष बाबू जंबू प्रसाद जैन के साथ चैनल महालक्ष्मी टीम पहुंची थी – सम्मेद शिखरजी – गिरनार आदि तीर्थों पर वर्तमान स्थिति व केसों के संबंध में।
आचार्य श्री सुनील सागरजी ने कहा कि जंबू प्रसाद जैन जी अभी तीर्थों के लिये सहयोग की बात कर रहे थे। आप कर्म करते जाइये, फल मिलता रहेगा। अशोक पाटनी जी ने भी कह दिया है, काम करिये, आगे बढ़िये।

उन्होंने जोर देकर कहा कि तीर्थों की सुरक्षा के लिये आगे बढ़िये, पहले बातचीत से हल निकालिये, अगर उससे बात नहीं बनती, तो साम-दाम-दण्ड-भेद से हल निकालिये। आप हम तो 60-70-80 बरस तक रहेंगे, पर जिनधर्म 18450 वर्ष तक चलता रहेगा। अपना कर्तव्य जरूर करिये।
हर कर्म अपना करेंगे, जिन धर्म तेरे लिये,
दिल दिया है, जान भी देंगे, जिनधर्म के लिये।
मन में यदि है प्रेम तो, हर पल यह कहना चाहिये,
हम रहे, ना रहे, जिनधर्म रहना चाहिए।

दो भाई आपस में झगड़ा करें, पैसा बर्बाद करें, यह बुद्धिमानी नहीं। पर अहंकार है कि झुकने नहीं देता। शिखरजी के साथ गिरनार की दशा भी सब देख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आजकल संख्या बल बहुत मायने रखता है, आजकल खोपड़िया गिनी जाती है, खोपड़ियों के अंदर क्या है? यह नहीं देखा जाता। अगर वासुदेव देवकी ने ‘हम दो, हमारे दो’ ही सोच लिया होता, तो क्या श्रीकृष्ण जी होते? अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में श्री कृष्णजी जैसा बेटा पैदा हो तो सोच लीजिये, कहां तक जाना होगा। श्रीकृष्णजी के जीवन से सीखिये कि परिस्थिति कैसी भी हो, हार नहीं मानना। साहस और धैर्य का जीवन में बड़ा रोल है। यह संकेत कर रहे थे जम्बू प्रसाद जी को। बड़ा दिल रखो, बड़े साइज में काम करो, तभी बड़ी उपलब्धि प्राप्त होती है।

इससे पूर्व भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष बाबू जम्बू प्रसाद जैन जी ने कहा कि तीर्थों के ऊपर अपने और बाहर के झगड़े-विवाद चल रहे हैं, हम ही आपस में लड़कर कमजोर कर रहे हैं। समन्वय के साथ चले, तो विकास कर पाएंगे। मुकदमों से प्यार खत्म हो रहा है। हम विरासतें सुरक्षित न कर, बिखेर रहे हैं। घर में बैठकर ही सुलझा लें। चल-अचल तीर्थों पर हमले हमारे बिखराव के कारण हैं। पंथवाद में बंट गये हैं, अगर ऐसा ही रहा, तो 50-60 साल बाद क्या होगा। धर्म को बचाने के लिये सब एकसाथ रहें, घर में ही वैमनस्य खत्म करो। आज यूपी से ज्यादा राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक में पंथवाद हो रहा है। हमें इस पर अंकुश लगाना होगा, विवाद बढ़ रहे हैं। हमारी आपसी मूर्खता के कारण पैसा बर्बाद हो रहा है, समझना होगा – अभी नहीं, तो कभी नहीं।

तीर्थक्षेत्र कमेटी के संरक्षक दानवीर अशोक पाटनी जी ने कहा कि शिखरजी का कई सालों से विवाद चल रहा है। तीर्थक्षेत्र कमेटी पूरी मेहनत से लड़ रही है, जम्बू प्रसाद जी आप साहस के साथ केस लड़ो, किशनगढ़ ही नहीं, पूरा भारत आपके साथ है।

इससे पूर्व चैनल महालक्ष्मी ने आचार्य श्री सुनील सागरजी, पूरे संघ व वहां की कमेटी को सुप्रीम कोर्ट में चल रहे शिखरजी विवाद पर अपडेट जानकारी दी, तथा गिरनार केस में हाईकोर्ट निर्णय की अवमानना पर सुप्रीम कोर्ट में जाने के संबंध में चर्चा की।