॰ समुदायों को लड़ाकर विकास नहीं, विनाश कर रहे राजनेता
॰ अहंकार के चलते साधुओं तक को नहीं पूछती कमेटियां
24 जुलाई 2024// श्रावण कृष्ण पंचमी //चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/शरद जैन /
शब्दों में संभव नहीं, गुरु महिमा गुणगान
पहले गुरुवर पूजिए, फिर पूजिए भगवान
इन्हीं शब्दों के साथ अपनी इच्छाओं को, शौकों को युवाओं से नियंत्रण करने की अपील करते हुए आचार्य श्री सुनील सागरजी ने किशनगढ़ में अपने 28वें वर्षायोग कलश स्थापना समारोह में 20 जुलाई को धर्मसभा को सम्बोधन की शुरूआत की।
एक मिसाल, जो बना दी बेमिसाल
उन्होंने गुरु पूर्णिमा और वर्षायोग कलश स्थापना के कार्यक्रम को एक मिसाल के रूप में प्रस्तुत किया, जो सचमुच बेमिसाल थी। सभी कार्यक्रमों में नेता आते हैं, और उन्हीं का सम्मान व गुणानुवाद होता है, पर अपने ही मंच को अपनी ही बात कहने के लिये जिस तरह आचार्य श्री ने सदुपयोग किया, अगर उसी तरह सभी संत करें, तो वह दिन दूर नहीं जब जैन विरासतों, संस्कृति, तीर्थों की ओर कोई आंख उठा कर नहीं देख सकेगा। उन्होंने वहां आये केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री भगीरथी चौधरी व राजस्थान राज्य के शिक्षामंत्री को यूं ही नहीं जाने दिया।
मंत्री जी शिखरजी – गिरनारजी की बात मोदी जी तक पहुंचाओं
गुरु पूर्णिमा पर गुरु दर्शन करने आये कृषि राज्य मंत्री को स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि आज जैन समाज को गिरनार जी में लाडू नहीं चढ़ाने दिया जाता, वही सबसे पवित्र क्षेत्र श्री सम्मेदशिखरजी में मुख्यमंत्री जहां पहुंचते हैं, वहां निरपराधी – मूक पशुओं की बलि दी जाती है। यह क्या हो रहा है? अगर जैनों से बदला ही लेना है, तो अहिंसक रूप से ले लेते, वहां मिठाई बांट देते। सरल स्वभावी आदिवासी लोगों को भी अहिंसा व प्रकृति पसंद है। जैनों और उनकेबीच कौन झगड़Þे कराने के काम पर रोक लगनी चाहिये। इस पर कृषि राज्य मंत्री ने गिरनार पर तो कुछ नहीं कहा पर शिखरजी पर प्रतिक्रिया जरूर व्यक्त करते हुए कहा कि श्री सम्मेदशिखरजी सबसे पवित्र स्थान है और राजनीति इतनी गंदी हो गई है कि वोटों के लिये किसी पवित्र धर्म/ स्थान को भी नहीं छोड़ती। झारखंड में बहुत बड़ी जैनों की संस्कृति है। जीओ और जीने दो वाले, अहिंसा परमोधर्म: को मानने वालों के लिये इससे बड़ी पीड़ा नहीं हो सकती।
आचार्य श्री ने कहा कि जिस तरह पालीताना को शुद्ध शाकाहारी क्षेत्र घोषित किया, उज्जैन को, काशी को, तो इसी तरह श्री सम्मेद शिखरजी को भी शाकाहारी अहिंसक प्रदेश घोषित किया जाना चाहिये। मंत्री जी ने आश्वासन दिया कि समाज की बात को मोदीजी तक जरूर पहुंचायेंगे।
आदिवासी समाज का विकास नहीं, विनाश कर रहे
आचार्य श्री सुनील सागरजी ने यह महोत्सव पूरी तरह तीर्थों की सुरक्षा-संरक्षण व कमजोर वर्ग की सहायता के लिये मानो समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि जैन समाज असहाय है, आज वोटों की राजनीति विनाश और विकृति का प्रतीक बन गई है। जैन युवाओं को जैन एक्शन ग्रुप बनाना होगा, जो एक आवाज पर सौ-डेढ़ सौ एक साथ खड़े तो हो सकें।आज समाजों को लड़ाया जा रहा है। भोले-भाले आदिवासियों को इससे विकास नहीं, विनाश ही मिलेगा। कोई आदिवासी हिंसा में विश्वास नहीं करता, वे प्रकृति को पूजते आये हैं, उन्हें और जैन समाज को लड़ाने का काम किया जा रहा है।
बहुत महत्वपूर्ण वर्ष है 2550वां, 2800वां, 86550वां
आचार्य श्री ने कहा, यह जैन समाज के इतिहास का बहुत महत्वपूर्ण वर्ष है, जिसमें वर्तमान जिनशासन नायक महावीर स्वामी का 2550वां निर्वाण महोत्सव, 23वें तीर्थंकर पारसनाथ जी का 2900वां जन्मोत्सव व 2800वां निर्वाण कल्याणक, तथा 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी का 87550वां जन्मोत्सव तथा 86550वां मोक्ष कल्याणक दिवस है। वो कह रहे हैं 22 हजार वर्ष पहले दत्तात्रेय हुए, पर यहां तो 8600 वर्ष पहले नेमिनाथ हुये। गिरनार पर घिस-घिस कर प्रतिमाओं के दिगम्बर स्वरूप को मिटाने की कोशिशें हो रही हैं। अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
अहंकार में साधुओं की भी नहीं पूछते
अजमेर समाज की ओर इशारा करते हुय आचार्य श्री ने कहा कि आज कमेटियां अहंकार में आकण्ठ तक डूबी हुई हैं। कोई उन्हें बतायें कि रावण का भी अहंकार उसे ले डूबा था। दूसरे के सामने कोई आवाज नहीं निकलती, पर आपस में कुत्तों से भी ज्यादा भौंकते हैं, अपने अहंकार के सामने साधु-संतों को भी नहीं पूछते।
शिखरजी में गुुरु मंदिर पूर्णता की ओर
2015 में 5 युवाओं द्वारा शुरू किये गये सुनील सागर युवा संघ भारत (रजि.) में आज सौ से ज्यादा शाखाओं में हजारों युवा जुड़े हैं। कुछ को आर्थिक सहायता, गाय रोटी योजना, राष्ट्रीय राजमार्गों पर संतों के सुरक्षित विहार की जागरूकता के लिये ट्रक ड्राइवरों के बीच लाडू वितरण आदि कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला, वहीं आदिसागर अंकलीकर अंतर्राष्ट्रीय जागृति मंच (रजि.) के 19वें खुला अधिवेशन में शिखरजी में बन रहे गुरु मंदिर की जानकारी दी गई। इसके लिये 20 पंथी कोठी ने चौबीसी मंदिर के पास जगह दी। गुरु मंदिर में आचार्य श्री सन्मति सागरजी की 1008 किलो की पंचधातु की प्रतिमा है। तीन तरफ के तोरण द्वारा पूरे हो गये। मुख्य द्वार, फर्श का काम निर्माणधीन है। गुरु मंदिर का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।
महावीर स्वामी अहिंसा रथ प्रभावना
आचार्य श्री की प्रेरणा से सन् 2022 के जयपुर चातुर्मास के दौरान राजस्थान के राज्यपाल-मुख्यमंत्री की अगुवाई में श्री महावीर स्वामी के 2550वें मोक्ष कल्याणक के अवसर पर अहिंसा रथ गांव-गांव चल कर अहिंसा, जियो और जीने दो के प्रति अजैनों में जागरूकता फैला रहा है। इस अवसर पर जरूरतमंद असहाय आर्थिक योजना की भी शुरूआत की गई।
दो विशेष कलशों की स्थापना
आचार्य श्री की प्रेरणा से यहां तीर्थ सुरक्षा कलश और जन कल्याण कलश भी पहली बार स्थापित किये गये। निश्चित ही तीर्थ और समाज की सुरक्षा व उत्थान के लिये यह पहली बार हुआ। (गत वर्ष तीर्थ सुरक्षा के लिये एक राशि बोली गई थी)। इस तरह की स्थापना इस वर्षायोग के दौरान अन्य मंदिरों को भी करनी चाहिए।
इस अवसर पर द्रव्य संग्रह महासाहू दिगंबरा, जैनाचार के नवीन अंक आदि कई पुस्तकों का विमोचन श्रेष्ठियों द्वारा किया गया।