हर वस्तु होती आऊट-ऑफ -डेट, पर आत्मा अप-टू-डेट : आचार्य श्री : बाहर से आकर लोगों ने मंदिर तोड़े, अपने विचार थोपे : राज्यपाल

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॰ जन्म दिवस के नाम पर फिजूल में दिन व्यतीत मत करो, धर्म-ध्यान करो
॰ गुरुओं की नहीं, संसार की परीक्षा करो, अपनी समीक्षा करो
08 अक्टूबर 2024/ अश्विन शुक्ल पंचमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /

‘‘साधु रूप जीवन के प्रेरणास्रोत होते हैं। जन्म तो सभी का होता है, पर विरले ही अपने कर्मों से समाज को धन्य करते हैं। उनके जीवन से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। अपने गुरु पर ‘अनूठा तपस्वी’ तथा महावीर कीर्ति पर ‘दूसरा महावीर’ जैसी पुस्तकों के सशक्त लेखन की कला भी मैंने इन आचार्य महाराज में देखी है। संत जन-जन के लिये जीते हैं। शाकाहार, अहिंसा, सत्य जैसे उपदेश जन-जन के लिये हैं। महावीर का ‘जियो और जीने दो’ का अर्थ बहुत गहरा है।’’ इन शब्दों के साथ राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागड़े जी ने स्पष्ट रूप से किशनगढ़ की धर्मसभा में कहा कि – दिगम्बर जैन समाज बहुत प्राचीन है।
ऋषभदेव से महावीर तक सभी ने अपन उपदेशों से आज भी सभी को लाभान्वित किया है। मांगीतुंगी की 108 फुट ऊंची मूर्ति के मैंने दो बार दर्शन किये। एक ही पत्थर से बनी इतनी बड़ी मूर्ति विश्व में कहीं नहीं दिखाई देती। ढाई-तीन हजार वर्ष पहले केवल जैन-हिंदू धर्म ही थे। फिर बाहर से आकर लोगों ने हमारे मंदिर तोड़े और अपने विचार थोपे।

राज्यपाल महोदय द्वारा आचार्य श्री सुनील सागरजी के 48वें अवतरण दिवस पर आयोजित विशेष धर्मसभा में ये विचार व्यक्त किये। उनके द्वारा ‘जैनाचार्य ज्ञान, महा साहू दिगम्बरा’ आदि पुस्तकों का विमोचन भी किया गया तथा दानवीर अशोक पाटनी-विनोद पाटनी जी द्वारा उन्हें स्मृति चिह्न व आचार्य श्री द्वारा लिखित साहित्य भेंट किया गया।

आचार्य श्री सुनील सागरजी ने इस अवसर पर कहा कि ‘‘ये जन्म दिवस क्या होता है? कितने जन्म निकल गये हैं। फिजूल में दिन व्यतीत मत करो, धर्म – ध्यान में लगो। संस्कार-संस्कृति को जीवंत करने का काम चल रहा है। अभी मुख्यमंत्री ने अपने निवास पर क्षमापना दिवस मनाया, सभी संतों को भी आमंत्रित किया। राज्यपाल महोदय की रसोई इतनी शुद्ध है कि अशोक पाटनी जी भी वहां शुद्ध भोजन कर सकते हैं। देश में शाकाहार रूपी इतनी बढ़िया चीज उपलब्ध है, फिर भी कुछ लोग मद्य-मांस का उपयोग करते हैं। व्यसनों से दूर रहिये। भारत को इण्डिया क्यों कहें, आज 95 फीसदी देसी भाषा पंसद करते हैं, फिर अंग्रेजी क्यों? देश की प्राचीनतम लिपि ब्राह्मी है। गिरनार-खण्डगिरि के शिलालेख ब्राह्मी हैं। राज्यपाल 80 की उम्र में भी भक्ति, प्रभु का स्मरण, शुद्ध भोजन इनकी तंदरुस्ती का राज आज आप सब देख रहे हैं। शाकाहार दुनिया का सबसे बेहतरीन आहार है। दीपावली पर महावीर स्वामी के 2550वें निर्वाण महोत्सव वर्ष समापन भी मनाना है, वहीं पारस प्रभु का 2800वां मोक्ष कल्याणक तथा 2900 जन्मकल्याणक वर्ष भी है।
हमेशा की तरह आर्यिका अराध्यमति माताजी द्वारा भेजी गई पिच्छी, अशोक पाटनीजी के माध्यम से आचार्य श्री को राज्यपाल द्वारा दी गई।

आचार्य श्री ने कहा कि गुरु को चाहने वाले सिखा जाते हैं। अवतरण तो तीर्थंकरों का होता है। हम क्या चीज हैं। गुरु के पाद प्रक्षालन से पांव ही नहीं धोते, अपने पाप भी धुलते हैं। गुरुओं की नहीं, संसार की परीक्षा करो, समीक्षा अपनी करो। शरीर की पूजा नहीं होती, शरीर के अंदर बैठे ‘परम शांत’ की पूजा होती है।

मत पूछो कैसा आदमी हूं, जाने के बाद याद आऊंगा, कैसा आदमी हूं। अच्छा इंसान अपने अच्छे शब्दों-कर्मों से पहचाना जाता है। इंसान की पहचान कपड़ों से, वस्तुओं से नहीं, उसके चारित्र, भावनाओं और जुबां से होती है। आज हर चीज आऊट आॅफ डेट होती है, पर आत्मा अप टू डेट रहती है।

उन्होंने कहा कि जैसे 46 बीत गये, ऐसे ही आगे भी बीत जाएंगे। जो रागादि में पड़े हैं, वे पड़े रह जाएंगे, जो सम्यकदृष्टि होंगे, वो तर जाएंगे। रागादि से कुछ समय के लिए हम तुम्हारे, तुम हमारे में बदल जाते हैं। पर द्रव्य, क्षेत्र, काल, भव, भाव में पंच परावर्तन लगातार चलता रहता है। यही नियम है संसार का, अगर इसे समझ जायें, तो वैराग्य का अंकुर फूट जायें।

इस बारे में और जानकारी आप चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं 2905 में देख सकते हैं।