07 जून 2024// जयेष्ठ शुक्ल एकम/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
‘सादा जीवन, उच्च विचार, यही है सुखी जीवन का आधार’- बस इसी के साथ शुरू हुआ भामाशाह की नगरी किशनगढ़ में आचार्य श्री सुनील सागरजी ससंघ के सान्निध्य में विशेष 11 दिवसीय कार्यक्रम।
आचार्य श्री ने कहा कि जब आप जीभ से बोलते हैं, तो कम लोग सुनते हैं, पर जब आप जीवन-आचरण से बोलते हैं, तो अनेक सुनते हैं, अनेक सुधरते हैं और यह उसी किशनगढ़ की धर्मसभा में दिखा। SIMPLE LIVING, HIGH THINKING यानि सादा जीवन, उच्च विचार, पर आज इसका उलट ही दिखता है – दिखावटी जीवन, निम्न विचार। तीर्थंकरों – मुनिराजों से जहां सादा जीवन, उच्च विचार परिभाषित होता है, उनसे बड़ी कोई और पहचान नहीं होती, सादा जीवन की और विचार जगत कल्याण के। हर जीव का कल्याण हो, को केन्द्र में रखने वाले पूर्ण निर्ग्रंथ त्याग के मार्ग पर चले, वहीं लोग दिखावा पसंद करते हैं, उनका जीवन ऐसा ही होता है, जैसे हाथी के दांत। आजकल जैनों में दिखावे की परम्परा कुछ ज्यादा ही है।
उन्होंने कहा कि जितना ज्यादा दिखावा करते हो, उस पर जब चोट लगती है, तो डिप्रेशन में पहुंच जाते हैं। कई बार दिखावे से फजीहत भी हो जाती है, मुंह की खानी पड़ती है। दिखावे के लिये आपको बहुत कुछ करना पड़ता है, संसार के लिये कुछ न कुछ करते रहते हो, पर सादा जीवन, अंतर्यात्रा के लिये कुछ नहीं करना पड़ता। एक से टेंशन मिलती है, दूसरे से शांति। दिखावे में सरलता की जगह छल-कपट ले लेती है। जहां बनावट, सजावट, दिखावट है, वहां सब गिरावट ही मिलेगी।
इस 11 दिवसीय विशेष शिविर में प्रात: 4.45 पर अध्यात्म योग शिविर, दोपहर में विभिन्न संतों द्वारा अलग-अलग विषयों पर शिक्षण के साथ पूरे समय ज्ञान गंगा प्रवाहित हो रही है।