वैसे तो तीन-तीन तीर्थकरों के तीन-तीन कल्याणक एक ही दिन होते हैं- 16वें तीर्थंकर श्री शांतिनाथ जी, 17वें तीर्थंकर श्री कुथुनाथ जी से पहले 5वें तीर्थंकर श्री सुमतनाथ जी के तीन कलयाणक-जन्म-ज्ञान-मोक्ष केवल आप ही के हुए। यानि जन्म के दिवस ही केवल ज्ञान की प्राप्ति और उसी दिवस सिद्धालय पहुंचना।
1800 फीट कद, 10 लाख वर्ष पूर्व की आयु के अयोध्या नगरी में जन्म लियाा 5वें तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ जी चैत्र शुक्ल एकादशी को जो 23 अप्रैल को है।
ंग 20 वर्ष केवली काल के बाद इसी दिन अविचल कूट पर एक हजार राजाओं के साथ सिद्धालय पहुंच गये।
इसी कूट से एक अरब 84 करोड़ 14 लाख 781 महामुनिराज मोक्ष गये। इस कूट की निर्मल भावों से वंदना करने से 9 करोड़ 32 लाख उपवासों का फल मिलता है।