जैनों को आपस में लड़ाने की बजाय भगवान जैनों को सौपों ० प्रशासन जैनों में डिवाइड एंड रूल की नीति अपना कर दोनों सम्प्रदायों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़का रहा, पर समाज एक

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० सरपंच नहीं चाहती जैनों को मूर्ति मिले, पुरातत्व विभाग से कर रहे सम्पर्क
० समाज की मांग मूर्ति हमें मिले, पहले होली नहीं मनाई अब वोट नहीं देंगे, होगा बहिष्कार और सड़कों पर आंदोलन

22 अप्रैल 2024 / चैत्र शुक्ल पूर्णिमा /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन
जैनों के दोनों सम्प्रदाय – दिगंबर श्वेतांबर एक रहने की बजाय आपस में लड़ते हैं, यह जग जाहिर है, पर हर धर्म के सम्प्रदायों में ऐसा होता रहता है, पर गिनती में बहुत कम जैनों की इस खंडित एकता से मजा लेने वाले लाभ लेने का मौका कोई नहीं चूकता। अब राजस्थान के चुरु जिले के सुजानगढ़ से जो घटना सामने आई है, उसने पूरे जैन समाज को स्तब्ध कर दिया है।

गत 17 मार्च 2024 को यहीं की डूंगर बालाजी की तलहटी में पाइप लाइन की खुदाई में एक भव्य, पद्मासन प्राचीन अतिशय युक्त तीर्थंकर प्रतिमा निकली। बापजी क्रेशर मालिक गंगा सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले कराई गई खुदाई में शिवराज सिंह राजपूत ग्वाले को कुछ अलग सा पत्थर दिखाई दिया, जिस पर मिट्टी हटाने से मूर्ति के सबसे पहले दर्शन हुए। लगभग साढ़े तीन फीट की तीर्थंकर प्रतिमा निकली। जब पता चला कि यह जैन प्रतिमा है, तो सुजानगढ़ के जैन समाज की मीटिंग हुई, उसमें क्रेशर मालिक ने गाजे-बाजे के साथ प्रतिमा देने की बात कही। पर इतने में प्रशासन ने उसे सुजानगढ़ थाने में रखवा दिया। वहां के अध्यक्ष सुनील जैन सड़वाला ने सांध्य महालक्ष्मी से बात करते हुए सरपंच महोदय पर कई आरोप लगाये। इस मामले में वे कलेक्टर से भी मिल चुके हैं।

अध्यक्ष सुनील जैन का आरोप है कि सरपंच महोदया दोनों जैन सम्प्रदायों को एक -दूसरे से लड़वाने की कोशिश कर रही हैं और मूर्ति जैन समाज को ना सौंपकर, पुरातत्व विभाग को सुपुर्द करने की कोशिशें कर रही हैं। वहां की छपी खबरों के अनुसार जैन समाज ने इसके विरोध में इस बार होली भी नहीं मनाई और उन लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का भी फैसला किया है। सरपंच डिवाइड एंड रूल की पॉलिसी पर चल रही है।

सुनील जैन ने चैनल महालक्ष्मी को बताया कि यहां 200 घर का जैन समाज है, जिसमें 100 दिंगबर है और 100 श्वेताम्बर, जिसमें 99 तेरापंथ के व एक मूर्तिपूजक है। क्लेक्टर से भी मिले, पर वे भी कहती हैं सरपंच जो करेगी, वो ही होगा। पर सरपंच कहती हैं कि गोपालपुरा में ही मंदिर बनाओ। पर वहां जैन समाज नहीं, कैसे पूजा-अर्चना होगी और बिन जैन समाज के हमारे मंदिरों का क्या हाल हो रहा है, किसी से छिपा नहीं है। अब तीर्थंकर प्रतिमा बिना पूजा-अर्चना के मालखाने में बंद रहे, यह स्वीकार्य नहीं।

दोनों जैन समाज ने मिलकर फैसला कर लिया कि, यह प्रतिमा श्वेताम्बर है या दिगबर इसका फैसला जैन समाज कर लेगा। प्रतिमा जैन समाज को सौंपी जाये, इस पर पूरा स्थानीय समाज एकमत है। पर सरपंच ने दोनों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काने का काम किया है, यह कहना है अध्यक्ष महोदय का। अब जैन समाज ने प्रशासन से पुन: अपील की है कि तीर्थंकर मूर्ति की थाने से बहाली कर, जैन समाज को सौंपी जाये। जैन समाज ने स्पष्ट कह दिया है कि मूर्ति को शीघ्र नहीं सौंपा गया, तो आंदोलन किया जायेगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। इस बारे में जैन समाज ने होने वाले लोकसभा चुनाव के बहिष्कार की भी घोषणा कर दी है। समाज ने मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर समय भी मांगा है।

सांध्य महालक्ष्मी नजरिया– जैनों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों? अगर बहुल सम्प्रदाय की प्रतिमा निकली होती, तो प्रशासन की मदद अनुदान, नेताओं के जमावडेÞ के बीच जोर-शोर से प्रतिमा की स्थापना की जाती। पर जैन प्रतिमा को एक अन्य सामान समझकर मालखाने में बंद कर, उसको आपस में लड़ाना न्याय संगत नहीं है।

अल्पयंख्यक समाज के अधिकारों का हनन है। प्रतिमा तत्काल एकजुट हुए जैन समाज को सौंपी जाये, तथा पुरातत्व विभाग की देख-रेख में वहां आसपास और खुदवाई कराई जाये, वहां और भी जैन पुरातत्व संबधी सामग्री मिल सकती है। (इसकी पूरी जानकारी चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड न 2531 में देख सकते हैं)