देशनोदय चवलेश्वर – निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव तीर्थ रक्षक प्रदाता 108श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
शुद्ध दूध हम को नहीं पचता,पानी मिला दुध मिला पंसद पचता हैं
1.शुद्ध दुध-दूध वाला पानी मिलाकर देता है आदमी का पेट सही रहता है दूध में पानी नहीं मिला देने पर दूध पीने वाले को दस्त लग गई शुद्ध दूध हम लोगों को हजम नहीं होता कि हम लोग पानी मिले दूध को पीते हैं और शुद्ध दूध को गलत कहते हैं अशुद्ध मे रहते रहते शुद्ध हमको पसंद नहीं है।
2.पुण्य पाप-कर्म का बहुमत है उससे बचकर रहो यह पांचो द्रव्य मिलकर जीव द्रव्य को ऐसा बना रहे हैं वह कुछ नहीं कर पा रहा है मन को कुंठित कर दिया है कर्म में कर्म तो स्वयं करते हैं पाप में कोई साथी नहीं है पुण्य के सभी साथी हैं पाप के कोई साथ नहीं देता है हमारा।
3.पंखे कुलर-पास होने वाले के कारण फेल होने वालों की बेइज्जती होती है आचार्य विद्यासागर से जितने संघ वो उन्हें पसंद नहीं करते क्योंकि उन्होंने अपनी चर्या ऐसी बनाई थी जो साधु गर्मी में बगैर पंखे ac मे कैसे रह सकते हैं पंचम काल में इतनी शुद्ध चर्या कैसे पाल रहे इसलिए हमारी बेइज्जती होती है इसलिए वह आचार्य श्री विद्यासागर से चिडते हैं।
4.बहुमत-इस संसार में अच्छे और बुरे का मुल्यांकन नहीं है इस संसार में अच्छे बुरे का भेद नहीं करते हैं बहुमत के पक्ष में रहते हैं और अपने लोगों को भी छोड़ देते हैं।
5.स्वरूप-संसार में कोई किसी का साथ ही नहीं है सब पुण्य के साथी हैं जब पाप का उदय आता है कोई साथ नहीं देता है इसलिए स्वयं की चिंता करो परिवार की चिंता बंद करो।
प्रवचन से शिक्षा-सभी हमारे पुण्य के साथी हैं पाप में कोई साथी नहीं।
सकंलन ब्र महावीर