28 अगस्त 2022/ श्रावण शुक्ल दवादिषि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी / हरि पर्वत आगरा/ ब्र महावीर विजय धुर्रा
निर्यापक श्रमण पुंगव तीर्थ चक्रवर्ती108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
सहयोग अभावग्रस्त को दीया जाता भेंट राजा को दी जाती है
*अपने बड़ों का सहारा नहीं लेना,
सहारा बनना जितना हम सहारा लेंगें उतना हमारी शक्तिया तिरोहित हो जाएगी,जिस बेटे को अपने बाप को सहारा देना था यदि वह बाप का सहारा ले रहा है निश्चित ही बेटा कमजोर है*
1.समर्थ के पास खाली हाथ नहीं-मेरे जो भी कार्य होगा वह भगवान से नहीं कराना हमें यह सोचना है हमे भगवान की पूजा अभिषेक करने मिल रहा है हमें उनके लिए कुछ कर सकु राजों को कभी सहयोग नहीं करना और उनके पास खाली हाथ नही जाना यदि समर्थ के पास खाली हाथ नही जाना,बड़ो के पास कभी खाली हाथ नहीं जाना चाहे खाने को दाना नहीं है, हमे बड़े आदमी के खाली हाथ नही जाना अष्ट द्रव्य लेकर जाना
2.दान सहयोग-दान पुण्यहीनों को नहीं,पुण्यवान और पूज्य पुरुषो को दीया जाता है।अपने से छोटे पुण्यहीन को सहयोग दिया जाता है।चींटी को आटा,भोजन, गौशाला में दान,गरीबों को पानी, आवास,औषधी सहयोग, राजा को सहयोग नहीं भेंट देती होती है।सहयोग अभावग्रस्त को दीया जाता भेंट राजा को दी जाती है।राजा के दरवाजे कभी खाली नहीं कृष्णा सुदामा का उदाहरण खाली हाथ नहीं जाना
3.यात्रा मे क्या-यात्रा में अगर जा रहे हों तो दो वस्तु साथ में रखना धोती दुपट्टा मन्दिर में एक दूसरे का पहना हुआ धोती दुपट्टा’ नहीं लेना चाहीये।भाई,भाई परिवारीजन एक दूसरे का पहन सकते है व साथ मे पुजन करने के लिए अष्ट द्रव्य की सामग्री लेकर जाना
4.अपने बड़ों का सहारा नहीं लेना,सहारा बनना
जितना हम सहारा लेंगें उतना हमारी शक्तिया तिरोहित हो जाएगी,जिस बेटे को अपने बाप को सहारा देना था यदि वह बाप का सहारा ले रहा है निश्चित ही बेटा कमजोर है
प्रवचन से शिक्षा-दान पुण्यहीनों को नहीं,पुण्यवान और पूज्य पुरुषो को दीया जाता है