जिंदगी को कोसना नहीं,धर्मात्मा का मजाक मत उडाना वर्ना अभिषेक शांतिधारा पूजन और आहार दान आशीर्वाद का सारा पुण्य ख़त्म हो जायेगा : मुनि श्री सुधासागर जी

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देशनोदय चवलेश्वर-निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव ज्ञान रथ के साथी 108श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
सारा पुण्य अभिषेक शांतिधारा पूजन और आहार दान आशीर्वाद का पुण्य भस्म हो जाएंगे,यदि हम अपनी जिंदगी को कोस रहे हैं हम अपने को कोस रहे हैं
1.जिंदगी को कोसना नहीं- जिंदगी को कोसे नहीं हमारे परिवार बेटे भोजन आंखें शरीर को कोसते हैं हम कोसने लग जाते हैं यह बहुत बड़ी गलती है सारा पुण्य अभिषेक शांतिधारा पूजन और आहार दान आशीर्वाद का पुण्य भस्म हो जाएंगे,यदि हम अपनी जिंदगी को कोस रहे हैं हम अपने को कोस रहे हैं इसीलिए कोसणा हम अपने आप को अपनों को कोसना बंद करें।
2.अपने को हीन मत समझो-यह मत सोचो कि मैं सबसे पीछे मेरे पीछे भी लाखो आदमी है अज्ञान परिषय है मेरे से भी कई मंदबुद्धि है मेरे पीछे अनंत जीव हैं हमारे पीछे अनंत जीव हैं हम सोचे तो पा रहे हैं अनंत जीव हैं जो सोच भी नहीं पा रहे हैं हमारे पास तो आंखें हैं लेकिन अपनों के पास आंखें भी नहीं हैं।
3.रामचंद्र-रामचंद्र जी ने पुण्यात्मा जीव थे दुनिया में जितने भी कष्ट थे वो सब उनके उदय में आए फिर भी रामचन्द्र जी ने अपनी जिंदगी को कोसा नहीं इसलिए सभी धर्मों ने रामचंद्रजी को अपना उच्चा स्थान दिया और उनको एक मर्यादा पुरुषोत्तम की तरफ उनकी महिमा गायी गई।
4.अभाव मे धर्मात्मा-हम लोग परिवार मकान माता-पिता के अभाव में जो कि वह अपनी जिंदगी को कोसते पाप कर्म का उदय मानते हैं व कहते हैं जैन धर्म ने मुनि को ये सभी परिवार माता-पिता के अभाव व 22 परिषयों के साथ खुशी खुशी जिंदा रहकर दिखाना है सभी तरीके से अनुकूलता है धर्मात्मा नहीं प्रतिकुलता मे धर्मात्मा माना जाता है।
5.धर्मात्मा को कष्ट-हम धर्मात्मा की मजाक उड़ाते हैं धर्म को समझते नहीं धर्म से ये सभी पुण्य की सामग्री जुटाने की कोशिश करते हैं धर्म ये सभी वस्तुएं नहीं देता धर्मात्मा जीवन में संकट सहन करता हैं इतना कष्ट पापी लोग कष्ट सहन नहीं करते हैं धर्मात्मा जीव अंत में सबसे ज्यादा सुखी होते हैं जैसे पिक्चर का नायक और खलनायक का उदाहरण दिया।
प्रवचन से शिक्षा-जिंदगी को कोसना नहीं,धर्मात्मा की मजाक मत उडाना।
सकंलन ब्र महावीर