21 जुलाई 2023/ श्रावण अधिमास शुक्ल चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ हरि पर्वत आगरा/ ब्र महावीर
निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव तीर्थ चक्रवर्ती108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
हम जितना मन से सोचेंगे,वचन से बोलेंगे,काया से करने की चेष्टा से हमारी शक्तिया समाप्त हो रही है, सब क्रियाओं से शांत बैठ गये तो अनंत शक्तिया प्रकट होगी
1.अंनत शक्ति-मेरा से बड़ा दुनिया में कोई नहीं हो निश्चित समझों आपका विनाश होना है आप एक दिन कुंथु जीव बनोगे हमारी सारी शक्तियों पर कुठराघात हो रहा है वह हमारे मन वचन काय के कारण हो रहा है हमारा मन आदि क्रियाओं में जो हमारी प्रवृति की कारण कुछ करने की भावना के कारण शक्तियां कमजोर हो रही है। मन वचन काया को हमारे ज्ञान का विषय मत बनने दो जो मन वचन काय की चेष्टा नही लेता,हम जो ये सोचते है मन से जितना सोचगें उतनी हमारी शक्तिया बढेगी लेकिन हमारी शक्तिया कमजोर हो रही है।ऐसे ही हम वचन काया से को कोई चेष्टा करते है तो हमारी शक्तिया समाप्त हो रही है। हम जितना मन से सोचेंगे,वचन से बोलेंगे,काया से करने की चेष्टा हमारी शक्तिया समाप्त हो रही है, सब क्रियाओं से शांत बैठ गये तो अनंत शक्तिया प्रकट होगी
2.किमिच्छक-हमे कोई किमिच्छक वरदान देवे तो मत लेना, एक तरफ मोत खडी हो और दूसरी तरफ किमिच्छक वरदान हो तो मोत को स्वीकार कर लेना लेकिन वरदान किमिच्छक मत लेना,रावण जैसा नितिज्ञ जो चलते युद्ध मे अष्टांहिका पर्व मे युद्ध बंद करा दिया फिर भी रावण का विनाश क्यो हो गया।
3.धर्म से पाप-हमारा सुखी करने से अहित होगा तो सामने वाला का अहित होगा हमे दुखी करने से हित होगा तो सामने वाला का हित होगा हम जितना धर्म कर रहे है उतना ही हमारा पाप बड रहा है। हम धर्म को साधन भी बना रहे है तो पाप के लिए रावण में जो अष्टाहिंका में धर्म किया यदि उतनी एक्रागता से धर्म कर ले तो सिद्धालय तक पहुंच जायेंगे
प्रवचन से शिक्षा-हमारा सुखी करने से अहित होगा तो सामने वाला का अहित होगा हमे दुखी करने से हित होगा तो सामने वाला का हित होगा