जो अपने माता-पिता के साथ रहता है वह भाग्यशाली है, जो इनके साथ विश्वासघात करता है वह अनाथ बनता है : मुनि श्री सुधासागर जी महाराज

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सिर्फ द्वेष से ही नहीं राग से भी व्यक्ति बदला लेता है ,जो अपने माता-पिता के साथ रहता है वह भाग्यशाली है
19 जुलाई 2022/ श्रावण कृष्ण षष्ठी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/

ललितपुर । पूज्य निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी महाराज ससंघ का चातुर्मास ललितपुर के क्षेत्रपाल जैन मंदिर में भारी धर्म प्रभावना के साथ चल रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होकर पुण्यार्जन कर रहे हैं।
मंगलवार को प्रातः मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन सभा में अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि यदि व्यक्ति द्वेष से नही जीत सकता तो वह राग का सहारा लेकर उसे हराने का प्रयास करता है। उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है कि कोई व्यक्ति अपने जवान बेटे के मौत की खबर सुनकर पागल हो जाये अथवा बेटे से शादी कर जो बहु घर आये वही आते ही अपनी सास को घर से निकाल दे ।

बात बहुत पुरानी है, एक आदमी ने तपस्या से भगवान को प्रसन्न किया जब भगवान पधारे और उन्होंने वरदान मागंने की बात कही तो ब्यक्ति बोला- मुझे पड़ोसी का बेटा बनाओ वो भी इकलौता और फिर जैसे ही जवान होऊ मर जाऊ ,भगवान असमंजस में पड़ गए, मगर भक्त की भावना को नही समझते हुए आशीर्वाद दिया और चले गए । व्यक्ति मरा, मर कर पड़ोसी का इकलौता बेटा बना, बहुत ही लाडला , चुलबुला, मिलनसार और जैसे ही जवान हुआ मर गया उसके मरते ही माँ- बाप का चेहरा देखने लायक था। अर्धविक्षिप्त अवस्था में आ गए उनकी यह हालत देख भगवान को समझ आया कि इसने उनका हित करने के लिये नहि बल्कि बदला लेने के लिये उनसे वरदान मांगा था । भगवान समझ गए यह द्वेष से इन्हें हरा नहीं पा रहा था इसलिये उसने पुत्रबत जन्म लिया और मृत्यु शौक देकर उन्हें बेसहारा बना दिया ,जो काम वह बल के साथ नही कर सकता था उसने छल के साथ पूरा किया।
यूं कहा जाए कि महाभारत में पांडव ,भीष्म पितामह या गुरु द्रोणाचार्य के जिंदा रहते कभी जीत नही सकते थे तब उन्होंने राग का सहारा लेकर उन्ही से उनकी मौत का तरीका पूंछा और उन्हें मारकर युद्ध जीत लिया । मुनिश्री ने कहा कि आज का मनुष्य धर्म तो कर रहा है, मगर धर्म से वह अपना भला चाहता है,यह नही सोचता कि धर्म ही उसकी नियति को निर्धारित करने वाला है।यदि वह सदभावों से धर्म करेगा तो परिणामस्वरूप उसे फल भी बहुत उत्तम मिलेगा ।

मुनिश्री ने कहा कि जो अपने माता-पिता के साथ रहता है वह भाग्यशाली है। अपने जन्मदाता माता-पिता पर विश्वास रखें। जो इनके साथ विश्वासघात करता है वह अनाथ बनता है। मां जीवनदायनी है, पाश्चात्य संस्कृति के कारण आज की संतान को मां पर विश्वास नही रहा है, उसका सासु पर विश्वास बढ़ रहा है, यह विनाशकारी है।

जिज्ञासा समाधान में मुनिश्री देश के विभिन्न स्थानों से श्रावकों की आनलाइन जिज्ञासाओं का समाधान चैनलों के माध्यम से करते हैं इसमें स्थानीय श्रावक पहुचकर भी अपनी जिज्ञासा का सामाधान पाते हैं।
उक्त जानकारी ललितपुर से डॉ. सुनील जैन संचय व श्रीश सिंघई ललितपुर ने प्रदान की। आभार एवं स्वागत जैन पंचायत के अध्यक्ष अनिल अंचल, महामंत्री डॉ अक्षय टढैया, मंदिर प्रबंधक राजेन्द्र जैन एवं पंकज जैन मोदी ने किया।
आज मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज के आहार अंकू मोहन मावा बाले को प्राप्त हुए।

महावीर नेत्र चिकित्सालय का अवलोकन करते मुनिश्री
भगवान महावीर नेत्र चिकित्सालय में मुनिश्री :
आज निर्यापक् मुनि 108 श्री सुधा सागर जी महाराज एवं पूज्य मुनि पूज्य सागर जी महाराज के पावन चरण श्री दिग. जैन भगवान महावीर नेत्र चिकित्सालय में पड़े,पूज्य मुनि श्रीं ने अस्पताल का पूर्ण निरीक्षण किया एवं चिकित्सालय समिति को अपना पूर्ण आशीर्बाद प्रदान किया,पूज्य मुनि श्री के आशीर्बाद से संचालित चिकित्सालय में नेत्र चिकित्सा के साथ ही समिति ने सी.टी.स्कैन एवं C4U पैथोलोजी दो नये प्रकल्प शुरु किये है उसका भी अवलोकन किया एवं आबश्यक दिशा निर्देश दिए तथा जनपद को उच्च स्तर की चिकित्सा सुबिधाये प्रदान हेतु प्रेरित किया एवं उत्कृष्ट कार्य हेतु समिति को एवं समस्त दानदातारों , एवं इन प्रकल्पों मे बिशिष्ठ सहयोगी नार्थ केलिफार्निया जैन संघ अमेरिका के समस्त सदस्य एवं सहयोगियों को आशीर्वाद प्रदान किया। इस मौके पर अरविंद जैन, अमितप्रिय जैन, राजीव जैन आदि मौजूद रहे।
डॉ सुनील संचय जैन