23 मार्च/चैत्र कृष्णा षष्ठी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
अशोक नगर–
आहार गुरु ले रहे हैं और नाचता श्रावक है ये है भक्ति भक्ति की कोई सीमा नहीं होती गुणसो प्रमोदम ऐसी भक्ति करना चाहिए जिसमें कोई स्वार्थ ना हो हनुमान जी की भक्ति देखी है आपने वे हमेशा रामचंद्र जी के संकटों को दूर करने के लिए तत्पर रहते थे उन्होंने कभी रामचंद्र जी से संकट दूर नहीं कराये तव वह संकट मोचक कह लाये ऐसे ही उन्हें संकट मोचक नाम दिया जगत ने वे सदा अपने आराध्य की सेवा में लगे रहे ऐसा त्याग संसार में कही देखने में नहीं आता
उक्त आशय के उद्गार चेतनोदय तीर्थ कटनी से सीधे प्रसारण में धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए मुनि पुगंव श्री सुधासागरजी महाराज ने व्यक्त किए
मध्य प्रदेश महासभा के संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि मुनि पुगंव श्रीसुधासागर महाराज के साथ ही निर्यापक श्रमण मुनि श्री वीर सागरजी महाराज संघ सहित विराजमान हैं मुनि संघ के सान्निध्य में चैत वदी नोमी को भगवान आदिनाथ स्वामी की जन्म जयंती भव्य रूप में मनाई जाएगी
जीवन में एक मन्दिर अवश्य वनाये
मुनि पुगंव श्रीसुधासागर महाराज ने कहा कि भावना करें कि हे भगवन में जीवन में अपने हाथ से मन्दिर का निर्माण करु अपने द्रव्य से लित्रोकीनाथ का जिनालय वनाऊ मन टीस होना चाहिए कि जगत के काम तो करते ही रहते हैं कास यह जीवन भगवान के काम आ सकें आप घर परिवार के प्रति चिंतित रहते हैं प्रयास करते हैं तो सभी कार्य होते हैं मकान भी वनता है संसार के सभी काम होने के वाद मैं एक मन्दिर का निर्माण करु यह भावना निरन्तर चलतीं रहें और टीस की तरह आपके मन में वस जाये आप अपने जीवन काल में मन्दिर ना भी वना पाये तो भी कोई बात नहीं आप मरण को भी प्राप्त हो गये तो वह जन्मेंगे जहां पहुंचते ही समवशरण वनाने का सौभाग्य प्राप्त होगा वस भावना वनाये।
आहार देने की खुशी चहरे पर झलकती रहती हैं
उन्होंने कहा कि आप महाराज जी को पड़ गाहन करके कितने खुश होते हैं मुनि राज के हाथ पर ग्रास रखते हुए आपकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता
पेट महाराज का भरा है और खुशी श्रावक की से नाचता है अभी भूख है फिर भी उसकी आनंद का ढिकाना नहीं रहता उसकी खुशी चहरे पर झलकती रहती है
-विजय धुर्रा