पुण्य के उदय में मत हसो, आनंद मत मनाओ, क्योंकि रोद्रध्यान एक समय आनंद देता है और आगे खाक कर देता है – मुनि श्री सुधासागरजी महाराज

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सिरोज -हमारे संसार में भटकाने का मूल कारण हैं पुण्य कर्म के उदय में आनंद मनाने का आनंद तुम्हारे रोद्र ध्यान का कारण है अशुभ कर्म के उदय में आपके मुंह से णमोकार मंत्र अपने आप निकलता है सबसे बड़ी वात है पुण्य के उदय में अच्छे कार्य करना सबसे पहले समझे कि हमारे पुण्य का उदय है कि नहीं सबसे पहले देखे आपका मन क्या कर रहा है मन मनोरंजन कर रहा है तो समझ लेना की अब भविष्य अंधकार में है कहीं से कोई भी तकलीफ नहीं हैं सारी दुनिया में जय जय कार हो रहीं हैं सारी दुनिया तुम्हारे लिए मानती हैं रोने के बाद अच्छा दिन आये तो जरूरी नहीं है लेकिन अच्छे दिनों के वाद बुरे दिन अवश्य आती है इसलिए जिनवाणी माँ कहती हैं कि पुण्य के उदय में मत हसो, आनंद मत मनाओ, क्योंकि रोद्रध्यान एक समय आनंद देता है और आगे खाक कर देता है, पतांगा हैलोजन का आनंद लेकर वही जल जाता है, अभव्य भी नरक कम जाता है, नरक ज्यादा जाते हैं ,जवकि स्वर्ग से एक इन्द्रीय ज्यादा जाते हैं ,इसलिए मैं कहा रहा हूँ कि कभी आपको पुण्य के उदय में ये फिलिग हुए, कि ये पुण्य मुझे नीचे ले जायेगा, उक्त आशय के उद्गार जिनोदय तीर्थ सिरोज में धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि पुगंव श्री सुधासागरजी महा राज ने व्यक्त किए ।

नशिया जी तीर्थ की नीव रखी थी आपने
मध्यप्रदेश महा सभा के संयोजक विजय जैन धुर्रा जिज्ञासा समाधान के सीधे प्रसारण में कहा कि गुरु देव 1989 चातुर्मास के वाद हम सब लोग आपके साथ आये थेऔर आपने यहाँ महोत्सव कर आचार्य श्री के साथ गजरथ में भाग लिया था आज वत्तीस वर्ष वाद यहाँ का नजारा देखते ही बनता है अव कुछ ऐसा हो कि सारा हिन्दुस्तान यहाँ आकर इस प्रभु को धोक लगाये

जिनोदय तीर्थ को अंतर राष्ट्रीय घोषित किया
इस दौरान मुनि पुगंव श्री सुधासागरजी महा राज ने कहा कि अव समय आ गया है कि इस तीर्थ को सारी दुनिया के लिए खोल दिया जाये सबसे पहले कमेटी व समाज इसमें आगे आये इसी के साथ शिरोमणि सरक्षंक परम सरक्षंक सरक्षंक व सरक्षंक सदस्य वनाकर तालियो व जय जय कारो के साथ दुनिया भर के भक्तों के लिए यहाँ तीर्थ खोला जा रहा है ।

अशोक नगर को तीर्थ का दर्जादिलाया- भानू चौधरी
इसके पहले अशोक नगर जैन समाज के मत्री भानू चौधरी मध्यप्रदेश महा सभा के संयोजक विजय जैन धुर्रा प्रचार मत्री थूवोनजी कमेटी समाज के वरिष्ठ मुनि संघ सेवा समिति के पूर्व अध्यक्ष राधेलाल धुर्रा विद्या सागर पाठशाला के मत्री प्रसन्न वामौर कोषाध्यक्ष मागीलाल महू जैन पंचायत के सदस्य उमेशसिघई मन्टूछाया रूपेश राजेन्द्र हलवाई पूर्व संयोजक मुनेश विजयपुराज लल्लूभइया राजेन्द्र कुमार जी भारिल्ल विनोद विजय पुरा पूर्व पार्षद राजेन्द्र कुशवाह पवन जैन अभिषेक ठेकेदार नीरज भोला स्टूडियो राजेन्द्र चौधरी संजय चौधरी सहित सैकड़ों अशोकनगर वासियो ने मुनि श्री को श्री फल भेंट किए इस अवसर पर समाज के मत्री भानू चौधरी ने कहा कि मुनि पुगंव ने अशोक नगर को तीर्थ का दर्जा दिलाया है गुरु देव जहाँ जाते हैं वह कुछ ना कुछ ऐसा करते हैं कि उसे सदियों तक याद किया जायेगा हम सब आपके आशीर्वाद से अशोक नगर में कार्य करते हुए आपकी प्रतिक्षा कर रहे हैं।
पाप की रक्षा का भाव ही पाप हैं
उन्होंने कहा कि पाप की रक्षा का भाव ही पाप हैं धन कामना में कोई वात नहीं है लेकिन धन कामना के बाद उसे सुरक्षित करने में पाप लगता है धन कमाकर fd कर दी धन कमाया एक दिन में आठसाल के लिए fdकर दी उन आठ वर्ष तक पाप लेगा परिग्रह का एक धागा भी पाप का बंध कराता है।

हमारे ज्ञान में शक्ति है लेकिन जान नहीं पा रहे
उन्होंने कहा पर से आनंद मिलने की चाह रखना मृग मरीचीका हैं हम पर से आनंद चाहते हैं जो मिलने वाला नहीं हैं हमारे ज्ञान में शक्ति है लेकिन जान नहीं पा रहा सब कुछ हमारे पास है सम्यकदर्शन नहीं हैं सब कुछ हमारे पास है जिस हवेली के सामने भीख माँग रहा है वह हवेली उसी के नाम हैं जब वह बालक था तब अनाथ हो गया जान नहीं पाया कि ये हवेली तेरी है यही हमारी स्थिति है जब सर्वज्ञय भगवान थे वो हमें समझाते समझते चले गये हम अपने वैभव को समझ नहीं पाये हम इतना समझ लेते तो इस पंचम काल में नहीं होते इस भूल को सुधारने में कम से कम एक भव तो लगेगा ।

सत्य की अनुभूति अलग चीज है

उन्होंने कहा कि सत्य बोलना अलग चीज है और सत्य की अनुभूति अलग चीज है भोजन करना और भोजन देखना अलग चीज है हमारे यहाँ दो कर्मों के उदय होते हैं साता और असाता काटा लग गया कुछ लग गई ये असाता हो गई दुख के दिनों में कोई चीख रहा है कराह रहा है तो ये मत समझना कि ये मिथ्यादृष्टी हैं असाता के उदय में अच्छे अच्छो को पांडव आदि को कहराते हुए देखा है कष्टो में जब तक रोते जाओगे कष्ट बड़ता जायेगा बुरे दिनों में जब रोओगे तो दुख बड़ता जायेगा आचार्यश्री उमा स्वामी महाराज ने कहा कि कष्टो को सहन करते जाओगे तो कष्ट कट जायेगा कहना सरल है करना कठिन है लेकिन पुण्य के उदय में हंसने लग जाये तो उसका संसार बड़ता चला जायेगा