कोई बड़ा आदमी मरे, तो अर्थी में जाने पर जरूर देखना क्या ले गया, एक क्षण के लिए ही सही, वैराग्य जरूर आयेगा : मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी

0
1607

चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी- निर्यापक श्रमण भक्त वत्सल मुनि पुंगव108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
अर्थी में जाने पर वैराग्य जागता है किसी की बरात में जाने पर राग जाग जाता है

1.अर्थी को देखो-जिसने समयसार पड़ लिया उसे वैराग्य नहीं होगा, वैराग्य के लिए बारह भावना पड़ते है ,तीर्थंकर भी बारह भावनाओ का चिंतन करते हैं, किसी की अर्थी में जाने पर वैराग्य जागता है ,किसी की बरात में जाने पर राग जाग जाता है ,कितना भी वैरागी हो बरात में जाने से कुछ ना कुछ खाने को मन करने लगता है, तुम्हारे लिए नहीं आ रहा तो इस मसान जरूर जाना कोई बड़ा आदमी मरे तो जरूर देखना क्या ले गया, एक क्षण के लिए सही वैराग्य जरूर आयेगा

2.साक्षी-मरते समय क्या परिणाम होना चाहिए, उन परिणामों को लाओ जैन दर्शन में दोनो दशाओ को बताया है, दुसरा तरीका आचार्य कुन्द कुन्द ने बताया कि तुम मर ही नहीं सकते, तो फिर डर किस बात का इस दुनिया में कुछ भी अनिष्ट नहीं है, सब इष्ट है, प्रशम भाव आयेगा अनिष्ट की तरफ संवेग की तरफ दृष्टि जायेगी

3.इष्ट सोचे-इस संसार सब अनिष्ट ही हैं, तो फिर भगवान से इष्ट कि चाह क्यों इन दोनों दृष्टि में से एक दृष्टि को अपनाना है ,तो आपका कल्याण हो जायेगा, जब यह निश्चित हो जाये कि मरने के अलावा कोई उपाय ही नहीं हैं, निश्चित हो चुका है ,सब कुछ अनिष्ट है तो ज्ञायक स्वभावी ज्ञाता दृष्टा बनो तुम भाग नहीं सकते, किसी को भगा नहीं सकते दुनिया का तांडव नृत्य देखो ,यह सब मेरे लिए अनिष्टकारी है, आत्मा मे भाव जागे कर्ता हर्ता धरता बने से ऊपर उठ जाओगे शक्तिहिन हो जाओगे, तुम तो फिर क्या करें कोई कुछ कर ही नहीं पा रहा ,तो फिर क्या करें, एक मात्र उपाय साक्षी भाव बना लो तांडव नृत्य हो रहा है, सब कुछ मिट रहा है यदि ये ना बन सकें ये तो नकारात्मक है ये नहीं देख पायेगे तो इष्ट को देखो संसार में अनिष्ट होता ही नहीं हैं, इस दुनिया में जो आया है वह जायेगा मैं प्रतिक्षण मर रहा हूँ, ये भाव लाना हैं।

4.दो दृष्टि-इस दुनिया में कुछ भी इष्ट नहीं हैं, सब कुछ अनिष्ट हैं, दुसरी दृष्टि सब कुछ इष्ट हैं, अनिष्ट कुछ भी नहीं हैं , इष्ट ही इष्ट हैं तो अनिष्ट की कल्पना करना व्यर्थ है ,परिवार हवाएं जल सब अनिष्ट हैं ,तो इष्ट की कल्पना क्यों कर रहे हैं ,आर्त ध्यान होगा हम अनिष्ट की कल्पना कर रहे हो आर्त ध्यान होगा, इष्ट कुछ भी नहीं होगा।

प्रवचन से शिक्षा- अनिष्ट में साक्षी भाव लाओ
सकंलन ब्र महावीर विजय धुर्रा 7339918672