चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी-निर्यापक श्रमण दिव्य ज्ञान के धारी मुनि पुंगव108 श्री सुधासागरजी महाराज ने प्रवचन मे कहा
अंतर्चेतना से उसको आवाज आती है मत रखो आगे बढ़ो जब तक रास्ता दिख रहा है
1.देवता कुछ अलग पाना-देवता है तो सौधर्मेन्द्र है सबकुछ वैभव है फिर भी कमी का आभास होता है कभी सुना नहीं ,कभी सोचा नहीं, कभी भगवान को देखा नहीं फिर भी कुछ अलग का होता है जो पाने की चाहत होती है वहां से कुछ नया अलग होने की तैयारी प्रारंभ कर देता
2आचार्य विद्यासागर भी खुश नही:-सारा जगत आपको पूज्यमान रहा है आपको ज्ञानी बुला रहा है जगत कह रहा है फिर भी कह रहा है कि यह कुछ भी सुख नहीं है सब तो अनंत बार पा लिया है ।
3.व्यक्ति जहां रहता है वहां से असंतुष्ट होता है:- व्यक्ति को कुछ नया स्थान की खोज रहती है उसको एहसास होता है जो मेरे पास है उससे भी कुछ अलग है कुछ अजीब यह परिणति हो जाती है कुछ चीज जहां है कि दुनिया अच्छी है वही खुश रहता है जैसे कुछ जीव निगोदिया में है वहाँ नैसर्गिक रूप से आभास होता है कि जो कुछ है सो अलग है जो हमारे से दूर है मेरे पास नहीं है हम से आगे हैं जो है उससे संतुष्ट नहीं होता मैं जहां हूं वहां से । कुछ भाग्य से निगोदिया जीव 608 बस पर्याय में आता है उनको कुछ नया अलग का आभास होता है पूर्णता का अनुभव नहीं होता सब कुछ है फिर भी कमी का आभास होता है चक्रवर्ती भी हो जाए तो भी आभास होता है और भी कुछ हो
प्रवचन से शिक्षा- जब तक रास्ता दिख रहा है कुछ नया पाने की कोशिश करते रहो
सकंलन ब्र महावीर जितेंद्र शास्त्री गुना – 04-11-2021