ओं ह्रीं क्लीं क्षूं क्षें घ्रौं ऋद्घि सिद्घि दायक श्री आदिनाथाय नमः
चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी
*निर्यापक श्रमण आगम के यथार्थ उपदेष्टा मुनि पुंगव108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
खेत से फसल के लिए खरपतवार को हटाते है,जिंदगी मे वैसे बुराइयां को हटाना हैं
1.मोक्ष-मोक्ष की अनुभूति नहीं हो रहीं हैं ,मोक्ष मार्ग है मार्ग की अनुभूति हो रही है जो जो कारण है वे एक दिन छूटेगा कारण हमारी आत्मा का स्वभाव नहीं हो सकता कार्य तो होगा ही नहीं, तुम्हारे भी कारण में जीवन वीत रहा है, पूजन करना है ,कारण है ,कार्य नहीं हैं, पूरी जिदगी में कोई कारण नहीं बने
2.खरपतवार को हटाना-किसान खेत तैयार करके रखता, खेत की खरपत वार को हटाता है, बखरनी करता है ,अभी बीज का वपन नहीं किया, लेकिन तैयारी पहले से करता है तुम्हारे अंदर क्या क्या बुराईया हैं उन्हें पहले निकल ले।
3.ज्ञान क्यो-ज्ञान परीक्षा के लिए हो रहा है ,ज्ञान साधक वन गया ,उपलब्धि कहा है आप पड़ रहे हैं, अज्ञान की निवृत्ति हो रहीं हैं ज्ञान कहा हो रहा है ,उपलब्धि उसे कहते हैं कि किसी का कारण ना बने, हम उपलब्धि ना बने, संस्थान में उपलब्धि हुई या साधन बन गया, जैसे मिट्टी का लोधा व घड़े के लिए वना रहा हूँ ,साधन बन गया, उपलब्ध कहा है, परीक्षा में आनंद आ जायेगा, चलो कोई बात नही आपकी दृष्टि में आया, कौन से विषय लेने से कौनसे चांनस हैं ,सब चीज अंतिम नहीं है, ये कारण बनते जा रहा है
प्रवचन से शिक्षा-जिंदगी मे बुराइयां हटानी हैं
सकंलन ब्र महावीर विजय धुर्रा 7339918672