चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी निर्यापक श्रमण श्रमण संस्कृति सूर्य मुनि पुंगव108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
अपराधी का साथ देने के बाद भी अपराधी नहीं भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य
1.सत्य व्रत-जयपुर के मोदी खाने की घटना है, किसी भूल वश कर्नल को मार दिया, तो अंग्रेजों ने पूरे मोदी खाने में रहने वाले को मारने का आदेश दिया ,नहीं तो सही अपराधी को बता दिया, तो अमरचंद जी दीवान जी ने सभी की सुरक्षा के लिए अपने को अपराधी बता दिया, दीवान जी अपने सत्यव्रत के लिए अपने आपको अमावस्या के दिन चांद निकल आया।
2.अपराधी का साथ-अपराधी का साथ देने के बाद भी, अपराधी नहीं भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य ने दुर्योधन गलत होने पर भी राजगद्दी के प्रति समर्पित होने के कारण, अपराधी का साथ दिया, लेकिन अपराधी नहीं, सभी महारती महाभारत में जो भी अपने वचन देने के कारण अपराधी के साथ दिया ,लेकिन अपराधि नहीं कहलाया।
3.दुखी क्यों-कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं, उनका दुश्मन हमेशा दुखी रहे ,तो मुझे खुशी होती है, इसका जितना अपमान होगा ,उतना मुझे सुखी होगा, वह अपना स्वयं का सम्मान पसंद नहीं करता, लेकिन अपने दुश्मन का सम्मान पसंद नहीं करता, ऐसे लोगों से भगवान गुरु शांतिधारा से कोई फायदा नहीं होगा ,ऐसे लोगों को निधित्ती निकाचित का कर्म बंधेगा अगले भवों में दुखी अपमानित होगा।
4.ईमानदार आदमी को पंसद नहीं करता-शनि ग्रह सबसे ईमानदार है, यदि अपराधी है तो अपराधी को सजा देता है, इसीलिए बुरा लगता है, ईमानदार आदमी को कोई पसंद नहीं करता ,सज्जन लोग को कोई नहीं चाहते हैं, संसार बुरा क्यों है क्योंकि यहां अच्छे लोगों को पसंद नहीं करता
5.आप खो गये-लोग कहते हैं भीड़ में हमारा कोई खो गया है, आचार्य कहते हैं तुम भी कहीं भीड़ में खो गए हो, हमारा खो गया कोई खो गया होगा ,वो मिल जाएगा, कर्म दुनिया में जो आपका खो गया, जिसके लिए आप दुखी हो रहे हो ,वह तो एक दिन मिल जाएगा ।
प्रवचन से शिक्षा- हम ऐसे हैं हमारा दुश्मन सुखी रहे और हम सुख सुखी हो यह भावना भानी हैं
सकंलन ब्र महावीर विजय धुर्रा 7339918672