तुम्हारी संसार की माँ कहती है कि गर्मी में कुलर ऐसी में रहना है और मेरी माँ पहाड़ की चोटी पर चले जाने को कहती है और शीत ऋतु जमी हुई नदिया के किनारे: मुनि पुगंव श्री सुधासागरजी

0
1388

हमने हर वस्तु पर अपनी वासना (इच्छा) को स्थापित कर दिया है- श्री सुधासागरजी महाराज

अशोक नगर- -हमने हर वस्तु पर अपनी वासना ( इच्छा) को स्थापित कर दिया कभी तेरे पन कभी मेरे पन में मान लिया ये तेरे मेरे पन की वासना वस्तु पर स्थापित कर दी इष्ट की अनिष्ट की वासना से ऊपर उठकर ही मुक्ति की राह मिलेंगी चातुर्थ काल के साधुओ को जिनवाणी ने जंगल में रखा हर समय विपरीत परिस्थितियों में रखा जहाँ हर समय मौत की स्थिति वनी रहती थी इस काल में साधुओ को जंगल में जाने से मना कर दिया मन्दिर में रहने को कहा मासोपास से मना कर दिया कितना भी आई पी स्थान वना दिया जिनवाणी की कृपा हमारे ऊपर है या चतुर्थ काल के साधु पर गर्मी में पहाड़ पर सीत रितु नदियाँ के किनारे ये जिनवाणी माँ की कठोरता है या कृपा है चौथे काल में जिनवाणी ने साधुओ के साथ पुरी कठोरता वरती हैं तुम्हारी संसार की माँ कहती है कि गर्मी में कुलर ऐसी में रहना है और मेरी माँ पहाड़ की चोटी पर चले जाने को कहती है और शीत ऋतु जमी हुई नदिया के किनारे कहा दिया ये अच्छा किया की वुरा जव जव बड़े लोग हमें छूट दे दे तो ये कलजुग की वलहारी हैं जव जव बड़े लोग हमें छूट दे तुरंत पश्चाताप करना कि हमें बड़े लोग शक्ति हीन समझ रहे हैं उक्त आशय के उद्गार चन्द्रोदय तीर्थ चाँद खेड़ी से सीधे प्रसारण धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि पुगंव श्री सुधासागरजी महा राज ने व्यक्त किए ।

चल रहा है मन्दिर के विस्तार का कार्य
चन्द्रोदय तीर्थ चाँदखेड़ी तीर्थ के बड़े बाबा भगवान आदि नाथ स्वामी के मन्दिर का विस्तार किया जा रहा है समाज श्रेष्ठीयो के सहयोग के साथ ही इस जिनालय में जन जन की भागीदारी हो इस हेतु पंच शिलाओ की स्थापना की जा रही है इसके लिए कमेटी के अध्यक्ष हुकम काका नरेश वेद गोपाल जी एडवोकेट तक अपने नाम पहुचाये जिससे कि आपके नाम का उल्लेख सीधे प्रसारण में दैनिक जिज्ञासा समाधान के दौरान किया जा रहा है ।

कमजोर को मिलती हैं गुरु कृपाकं
उन्होंने कहा कि गुरु कृपा सब चाहते हैं लेकिन आपने देखा गुरु कृपा किस पर होती हैं स्कूल में दस नम्वर गुरु कृपाकं के मिलते हैं वे अच्छे हैं कि वुरे जो फैल होने वाला था उसे गुरु कृपाकं मिले और जिसे 99 नम्वर आये है उसे एक नम्वर भी नहीं दे सकते वह जव भी लायेगा सौ नम्वर अपने वल पर लायेगा

गुणवान का नाम संसार मत रखना
उन्होंने कहा कि गुण का नाम संसार मत रखना संसार में गुणवान और गुणहीन सभी रहते हैं इस संसार में झूठ नाम की चीज है ही नहीं ये कल्पना है ये हमारी उपज हैं ऐसे ही संसार नाम की कोई चीज नहीं हैं एक अमर वेल होतीं हैं वह जहाँ छाति हैं उस
पेड़ को ही नष्ट कर देती हैं अमर वेल की कोई जड़ नहीं होती लेकिन वह इस तरह से फैलती हैं जिस वृक्ष पर वह चड़ती हैं उसके अस्तित्व को ही समाप्त कर देती हैं ऐसे ही संसार नाम की चीज है जो अमर वेल के समान है सभा का संचालन महावीर भइया ने किया
-विजय जैन धुर्रा