चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी – निर्यापक श्रमण भक्तवत्सल मुनि पुंगव108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
गुरु को मुझ पर गर्व है कि नहीं यह कल्याण का मार्ग है
1.उपयोगिता-एक राजा ने एक राजा मरने वाला था, पानी की जरूरत थी ,गडरिया उसको एक लोटा पानी देकर बचा लिया ,राजा हो जाएगा पानी का महत्व है, वस्तु का महत्व नहीं ,वस्तु की उपयोगिता कितनी है ,ऐसे ही हमारे भगवान,गुरु की उपयोगिता है
2.बडों की प्रशंसा-आपको गुरु पर गर्व है, गुरु को देखकर फुले नहीं समाते, गुरु को मुझ पर गर्व है कि नहीं यह कल्याण का मार्ग है, छोटा लोभी होता है, वह झूठ भी बोल देगा, आप को बड़े लोगों की प्रशंसा करते हैं ,लोभ वश करते हैं, बड़े में दोष मत देखना पड़ेगा, छोटे को कहा बडें की चाटुकारता करो ,बड़ों को नाराज मत करना।
3.वर्ण अविनाशी-वो शब्द को ब्रहम कहा है, वर्ण अविनाशी है ,शब्द ब्रहम रुप हैं, वर्ण अविनाशी है, शब्द अर्थ क्रिया भी खत्म हो जाएगी, आंखें नहीं जाएगी ,तो सम्यक दर्शन नहीं रहेगा, आंख से सम्यकदर्शन होगा, देवदर्शन होगा ,नेत्र का विषय बुरा नहीं ,जिंदगी में जो कुछ है ,उस पर गर्व है कि नहीं।
4.ज्ञेय बुरा नहीं-ज्ञेय बुरा नहीं होगा, भगवान की ज्ञान में ज्ञेय नहीं झलगता, उनको गंदा करता हैं गंदी वस्तु, जिसकी जिंदगी में जाएगी उसको गंदा करेगी, जिसको ज्ञान जानता है वह प्रकृति है हमेशा अच्छा है, ज्ञेय सत्य है, ज्ञेय से ज्ञायक शक्ति प्रकट करती हैं ,ज्ञेय हेय है तो हम भी हेय हैं ,ज्ञेय यदि निकल जाए ज्ञान की कोई कीमत नहीं हैं ,ज्ञान को कोई न कोई ज्ञेय चाहिए।
5.प्रकृति आनंद-प्रकृति को कभी बुरा नहीं कहा, संसार को बुरा कहा,प्रकृति स्वभाव हैं, स्वभाव कभी बुरा नहीं होता ,आह्लाद उत्पन्न करती है सब को आनंदित करती है ,जो दिखता है ,वह प्रकृति है,सृष्टि,द्रव्य है ये कभी बुरा नहीं कहे सकते , सबको जो दिखता है वह प्रकृति बुरा नहीं होता।
प्रवचन से शिक्षा- प्रकृति बुरी नहीं है, वस्तु की उपयोगिता का महत्व है, बड़ों की प्रशंसा करो ,आपका उपकार होगा।
सकंलन ब्र महावीर विजय धुर्रा 7339918672