कुछ ऐसा अच्छा करो कि माता पिता को सम्मान मिले, ऐसे ही गुरु के मन में आल्हाद आता है: मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी

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चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी – निर्यापक श्रमण जिज्ञासा समाधान प्रतिपादक मुनि पुंगव108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
महत्वपूर्ण यह नहीं कि गुरु को आपने स्वीकार कर लिया महत्वपुर्ण ये हैं गुरु ने आपको स्वीकार कर लिया।

1.भगवान ने हमे आदेश के योग्य नहीं,-हम भगवान तक पहुंचे हैं ,जानते है गुरु को मानते हैं गुरु के पास पहुंचे हैं, लेकिन भगवान हमें आदेश योग्य नहीं माना ,सारी जिंदगी हमें उपदेश देना तो मत समझना कल्याण हो जाएगा ,मोक्ष मार्ग का उपदेश सभी को दिया, लेकिन भगवान ने मुझे आदेश के योग्य नहीं समझा ,तब तक आप का कल्याण नहीं हो सकता, परायों को आदेश नहीं दिया जाता है, अपनों को आदेश दिया जाता , सारी जिंदगी भर उपदेश देवे ,तो मत समझना भगवान ने हमें स्वीकार कर लिया, मैं सफल हो गया मत मानना, आप भगवान के समवशरण में अनंत बार होकर आ गए, भगवान ने हमें आदेश के योग्य नहीं माना।

2.आवाज तो लगाना,-धर्म कभी आवाज में रहेगा ,तो कभी न कभी कार्य हो जाएगा, राजनेता कभी कर नहीं पाएगा और कभी करेगा भी नहीं, गुरु ने आवाज लगाई थी ,उपदेश दिया था कि ये पाप है ,गलत है, गुरु जी ये पुछा जाएगा कि आपने क्या कर रहे थे ,जब पाप हो रहा था, आपने क्या किया, हम मान लेंगे ,ये मानकर प्रवचन मत कर देना, सत्य तो हो एक बार बता देवे

3.मां बाप के लिए पाप झोडे-मां बाप की शान के खातिर तुमने कोई व्यसन छोड़ा, पूरे चांस थे, सब सुविधाये थी ,फिर भी मात्र पिता जी कि इज्जत के लिए व्यसनो का त्याग कर दिया, कुछ ऐसा अच्छा करो कि माता पिता को सम्मान मिले, ऐसे ही गुरु के मन में आल्हाद आता है, जब शिष्य कोई कार्य करता है, गुरु भी बहुत खुश होते हैं ,यदि मैं एक आशीर्वाद दूँ ,तो आप पहले बेटे को आशीर्वाद दिला देंगे ,आज हर बेटे को कहना चाहता हूँ, कोई एक कार्य ऐसा करें कि पिता को तुम पर गर्व हो जाये, ऐसे ही एक काम जिंदगी में अवश्य करना कि गुरु को आनंद आ जाये कि मैरा दीक्षा देना सार्थक हो गया

4.भगवान ने हमें आदेश के लायक नहीं समझा-,हम गुरु के उपदेश तो सुनते हैं ,भगवान ने ढाई ढाई घन्टे उपदेश दिया ,लेकिन आदेश नहीं दिया ,भगवान की करूणा हैं कि वह उपदेश दे रहे हैं, ये मत समझना कि उपदेश तुम्हें अपने पुण्य से मिल रहा है, बड़े करूणा कर सच्चा रास्ता तो वताते हैं, भगवान का सबसे बड़ा गुण है कि वह यह नहीं देखते कि मेरे उपदेश से कितने लोगों का कल्याण होगा,

5.गुरु ने स्वीकार,-भगवान गुरु ने हमे उपदेश दिया, तो यह मत समझना कि गुरु की कृपा हैं ,गुरु प्रवचन तो डंक मारने वाले को भी उपदेश देते हैं उपदेश तो दुश्मनों को भी देते है उपदेश तो दुश्मन पापियों को भी देते हैं गुरु भगवान का कर्तव्य करुणा है महत्वपूर्ण यह नहीं कि गुरु को आपने स्वीकार कर लिया, महत्वपुर्ण ये हैं गुरु ने आपको स्वीकार कर लिया।

6.संसार में रहने वाला व्यक्ति ऐसा करता हैं जो उसे नहीं करना चाहिए ऐसे कार्य नहीं देव शास्त्र गुरु कानून के विरुद्ध नहीं होना चाहिए ऐसा कार्य से हम बच जाते हैं ,बहुत लोग मानते हैं, भगवान, गुरु जो कार्य करते हैं वो हमे नहीं करने चाहिए, भगवान गुरु जिस कार्य को करने से मना कर रहे हैं, वह कार्य करने वाला कम है, सभी दर्शन कार कहते हैं, भगवान गुरु में अपने भगवान गुरु को सत्यवादी मानते हैं बगैर सत्यवादी माने सिर झुक ही नहीं सकता, जिस कार्य को मना करते हैं वह नहीं करना चाहिए।
शिक्षा-भगवान गुरु से जिंदगी में आदेश मिले ये सौभाग्य मानना
सकंलन ब्र महावीर विजय धुर्रा 7339918672