14 सितंबर 2021, चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी – निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव ज्ञानी ध्यानी108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
सम्यगदर्शन को पाने के लिए मित्त्यात्व को हटाने के लिए सम्यकदर्श़न का बैट लकड़ी बन जाओ,
1.सम्यग्दर्शन-असत्य को मिटाने मत चले जाना नहीं तो हाथ पैर टूट जायेगा चार दिन में हिम्मत आ गई जैसे असत्य अंधकार के कंधे पर बंदूक रखकर चला रहा है वैसे ही तुम सम्यकदर्शन के सहारे से असत्य पर विजय प्राप्त कर सकते हो असत्य को जीतने के लिए सीधा प्रहार नहीं करना हम सम्यकदर्शन को आगे कर दो असत्य अंधकांर हैं भ्रम है कल्पना है और कई छिपा बैठा है सामने से कोई प्रहार नहीं पा सकते पेड़ जब भी कटेगा कुल्हाड़ी से कटेगा सम्यकदर्शन को कुल्हाड़ी बना लो कुल्हाड़ी काट तो देंगी लेकिन उसमें ताकत नहीं है तुम बैट वन जाओ बैट कभी पेड को काटने का आरोपी नहीं बन सकता उसने थोड़ी काटा है दोनों मिल जाये तो पेड़ को काट देगा तुम बैट बन जाओ ऐसे ही तु भगवान को देख सकता है, खरीद नहीं सकता, ज्ञान तुझे भगवान से मिला देगा
2.भ्रम-सामने सीप पड़ी हैं तुम्हें भ्रम हो गया कि चाँदी पड़ी हैं तुम लेने पहुँच गए ,सीप चाँदी नहीं हो सकती, ये तुम्हारा भ्रम है तो इसका क्या क,रें दुसरे के प्रभाव से मात्र दीप प्रज्वलन करना है, तो अंधेरा दूर हो जायेगा, मात्र मिथ्यात्व हो हटाना हैं, ज्ञान अपने आप प्रकट हो जायेगा
3.अंधेरा-अंधेरा पापी नही है जैसे ही एक माचिस की तीली लगाई प्रकाश आ गया राहु केतु अंधेरा करते हैं राहु केतु कहता है मैने अंधेरा नहीं किया मेने तो सुरज को ढका,जिससे अंधेरा हो गया।
4.अंधकार-श्रद्धा और ज्ञान एक नहीं है दर्शन मोहनीय ढकता हैं ज्ञान को उत्तम सत्य धर्म के दिन तीन बाधाओ को निपटाये सत्य की तो दवा है असत्य अज्ञान की कोई दवा नहीं है अज्ञान को ज्ञान बनाने का कोई उपाय नहीं है अज्ञान को हटाने का कोई कारण नहीं है एक मा जी शिखरजी जाने लगीं तो बहू से कहती हैं हमारे घर में कभी अंधेरा नहीं रहा तू घर में अंधेरा मत होने देना शाम होते ही बहू डंडे लेकर अंधेरा भगाने लगी हाथों मे फोले पड़ गये लेकिन अंधेरा दूर नहीं हुआ माॅ जी के आने पर उसने माँ जी को बताया तो उन्होंने माचिस की काड़ी से दीप जलाते ही अंधकार दूर हो गया अंधेरा महा दुश्मन नहीं है लेकिन दुश्मन को मौका देता है ये पापी लुटेरा ये ऐसे नहीं जायेगा माचिस की एक काड़ी जलाओ अंधकार दूर हो जायेगा।
5.असत्य एक तंतु-स्वपन में होता नहीं है असत्य एक ऐसा ही स्वपन हैं सोते समय यह शक्ति जाग जाये तो वह कोई भी कार्य करदेता है उसे सुलाओ यह रात वाले तंतु दिन में जाग जाते हैं तो आदमी को कुछ भी दिखने लगता है उसको डॉक्टर लोग सुला देते हैं धीरे-धीरे ठीक हो जाता है ऐसे ही असत्य ऐसा तन्तु जो दुनिया में फैला है ज्ञान को अज्ञान बनाने वाला नहीं है।
6.सत्य का विरोधी नहीं-आज का धर्म जिसका कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं है इसके सामने कोई प्रहार नहीं करता सामने वाली कमजोर तो निमित्त प्रहार कर देता है क्रोध मान माया लोभ से यह सब सामने आकर प्रहार करते हैं निमित्त बलवान उपादान कमजोर होता हैं ऐसा कोई दुश्मन नहीं होता प्रतिद्वंदी नहीं है सत्य का नाश करने वाला कोई नहीं होगा सतय के सामने कोई नहीं आया कि वह गायब होते हैं दुश्मन सामने आ गया तो हम क्रोध आ गया दुनिया में असत्य है ही नहीं जब वह सामने आते ही हमे असत्य बोलने का भाव आता जो असत्य को प्रेरित करते हो।
7.गुरु मिल जाये तो ज्ञानी हो जाये नहीं महानुभाव पुरे द्वादंशाग का भी ज्ञान कर लो तो भी ज्ञान होने वाला नहीं है सम्यकदर्शन को मजबूत करने के लिए मैं किसके पास जाऊ मिथ्यात्व को हटाने वाल मिल जाये तो सम्यकदर्शन प्रकट होगा
8.श्रद्धा गुण जव किसी गुरु के पास जायेगा तव तू ज्ञान के साथ हो जाना वह तुझे गुरु तक ले जायेगा सम्यकदर्शन यदि प्रकट होगा तो तेरा अंधेरा हटेगा ये मत देख कि तेरे घर में उजाला करने से पड़ोसी के घर भी उजाला पहुँचेगा तो पहुंचने दे तू तो प्रकाश में रह रहा हैं।
प्रवचन से शिक्षा-असत्य अंधकांर हैं भ्रम है कल्पना है और कई छिपा बैठा है सामने से कोई प्रहार नहीं पा सकते।
सकंलन ब्र महावीर विजय धुर्रा 7339918672