धन दौलत है जो दो लाते मारती है, आती है जब छाती पर लात पड़ जाती है, जब जाती है कमर पर मारती है : मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी

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चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव ऋषिराज108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
वो योगा में थक रहा है,ज्ञानी योग में तक रहा हैं

1.पुण्य काम नहीं-पुण्य पर भरोसा मत करना निमित्त शक्ति पर भरोसा मत करना जब पाप का उदय आएगा तो कोई काम नहीं आता धन कभी भी उल्लू बना सकती है धन दौलत है जो दो लाते मारती है, आती है जब छाती पर लात पड़ जाती है, जब जाती है कमर पर मारती है श्री राम के गुरु वशिष्टजी ने गरीबी में पढ़ाया।

2.व्यवहाराभासी-पुण्य की बुराई करें पुण्य का हेय कहा व्यवहाराभासी को अच्छा नहीं लगता, व्यवहाराभासी को पुण्य बढ़ाने वाली क्रिया अच्छी लगती है पुण्य से शक्ति बढ़ती है हत्या करने पर भी कोई सजा नहीं मिली पुण्य के दम पर धन की ताकत हैं।

3.निमित्त-निमित्त शक्ति दो प्रकार से प्रहार करती है एक दुख रूप करती है तब मुनि महाराज शक्तिमान,क्षायिक सम्यग्दर्शन को रुला देती है मरने का भाव करा देती है

4.शक्ति कितनी-शक्तियों की बात जो परिस्थितियों से समझौता नहीं करती है शक्ति तीन प्रकार की होती है कर्म की अपेक्षा नहीं पुण्य की अपेक्षा नहीं वह स्वयंभू शक्ति होती है एक बार प्रकट होने के बाद अविनाशी होती है दूसरी निमित्त शक्ति होती है जो खतरनाक होती है खतरनाक मोड़ पर छोड़ देती है सब कुछ छीन लेती है तीसरी संयोगज शक्ति होती है यह दोनों शक्तियां इतनी खतरनाक है हमें अपाहिज बना देती है बर्बाद कर देती है स्वयंभू शक्ति को तिरोहित कर देती है यदि दुश्मन बन कर खड़ी होती है हमारी उपादान शक्ति को ढंग देती है हमें कहीं का नहीं रखती।

प्रवचन से शिक्षा-पुण्य एक ऐसा खतरनाक लोन हैं

सकंलन ब्र महावीर 7339918672