#णमोकार_मंत्र को 1 बार सुनने मात्र से संसार के सारे संकट टल जाते है ,कोई दुनिया की ताकत नहीं ,जो संकट न टले : मुनिपुंगव श्री #सुधासागर जी

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24 अगस्त 2021, चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी- निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव ऋषि राज108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
संकट आए हमारे पर तो कभी मन के चिंतन को बदल लेना,संकट को मत बदलने की सोचना

1.विद्यासागर जी मुस्कराहट-आचार्य विद्यासागर जी जिस दिन खुद हंसे व दुसरे को हसावें तो समझना आचार्य श्री को कोई चिंता है और जब आचार्य श्री बहुत चिंता में हो चेहरे पर चिंता झलक रही हो, आचार्य श्री अंदर से बहुत खुश है।

2.सजा बडी दंड कम मिला-अंजना ने जो सजा काटी ,वो जब कहती है कि मेरी सजा बहुत बड़ी है ,पवनंजय में जो सजा दी वह बहुत कम है, क्योंकि मैंने तो भगवान ने सब को अलग किया था ,यह सजा बहुत बड़ी थी, हमने जो सजा दी है वह तो गलती का दंड है ,छोटा सा दंड है।

3.अंतराय-साधु को कहा अंतराय आहार में आए तो चेहरे से मुस्कुरा देना, जब साधु का आहार अच्छे से हुआ, मुस्कुराना मत ,साधु आहार को इसलिए जाता है ,गुरु आज्ञा के लिए जाता है,प्राणो का घात होने का दोष नहीं लगे इसलिए आहार का जाते।

4.मन बदलना-निमित्त को बुरा कहना ,बहुत बड़ी गलती है, कर्म हमने किया ,तो दूसरा क्यों इसको सहन करें, हमने गलती करे, इसलिए सजा हमको मिलेगी,संकट आए कभी हमारे तो कभी मन के चिंतन को बदल लेना, संकट को मत बदलने की सोचना, संकट अलग हो जाएगा ।

5.धर्म मे कमी कहा-हम इतना धर्म करते हैं ,माला करते हैं ,शास्त्रों में इसका लाभ जो लिखा है ,वह चिंता की बात है ,खोदा पहाड़ निकली चुहिया ,इतना धर्म पर रहे हैं ,इतना धर्म की जरूरत नहीं है ,णमोकार मंत्र को 1 बार सुनने मात्र से संसार के सारे संकट टल जाते है ,कोई दुनिया की ताकत नहीं ,जो संकट न टले,अंजन चोर ने तो मात्र एक बार णमोकार महामंत्र सुना मात्र था।

6.दूसरे के पास जो वस्तु है उस वस्तु का पाने का भाव करना भारी अनिष्ट की संभावना अपने स्वयं के कार्य दूसरे से कराने के भाव मत करना।
प्रवचन से शिक्षा-संकट आया तो अपनी गलती मानना
सकंलन ब्र महावीर