जिसकी मौत होती है, वह दुखी नहीं होता जीने वाला दुखी होता है ,यहां मरण वहां एक क्षण में जन्म होता है, यहां दुखी, वहां जन्म के ढोल ठमाके बज रहे हैं : मुनिपुंगव श्री सुधासागर

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15अगस्त2021 चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी – स्वतन्त्रता दिवसकी हार्दिक शुभकामनाएं व मोक्ष सप्तमी
*निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव जैन धर्म की ध्वजा108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा

अपने अंदर का अभाव आना चाहिए दुनिया का अभाव नहीं आना चाहिए
1.भारत की स्वतंत्रता-चंद्रशेखर आजाद सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी जी की अपने दुख से दुखी नहीं था, भारतीयों के दुख से दुखी थे, अंग्रेजों ने उनको जो पद चाहिए देने को तैयार थे,सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की, उनको बहुत लुभावना दिया अंग्रेजी ने, लेकिन उन्होंने कहा सभी भारतीयों को सुखी कर दो।

2.मेरो को दुख-अपने आप मे दुखी होते तो संभाल लेता, मरने वाला दुखी नहीं होता, जिसकी मौत होती है, वह दुखी नहीं होता जीने वाला दुखी होता है ,यहां मरण वहां एक क्षण में जन्म होता है, यहां दुखी, वहां जन्म के ढोल ठमाके बज रहे हैं, जहां मरे वहां दुख हुए जहां जन्म हुआ वहां खुशी क्या संसार है, बालक का जन्म हुआ कभी सोचा कहां से आया ये, नहीं सोचा, वहां का दुख,व्यय का विषाद नहीं,उत्पाद का हर्ष होता है।

3.अभाव-मेरे पास क्या नहीं है, इसका दुख मत मनाओ, मै क्या नहीं हु, ये दुख मनाओ, अपने अंदर का अभाव आना चाहिए, दुनिया का अभाव नहीं आना चाहिए

4.स्वयंभू को सुखी-स्वयंभू शक्ति ऐसी शक्ति है, जिस तरह दृष्टि चल जाए, वह सारी दुनिया को भूल कर अपने वैभव को प्राप्त कर लेता है, यदि निमित्त शक्ति वाला व्यक्ति टूटता है धोखा खाता है, दुखी रहता है, पराधिन होता है, स्वयं को सुख प्रकट हो ही नहीं पाता, बड़े आराम से शांति के साथ सोते हैं,लेकिन जब उठते हैं तो मंजन नहीं दुखी हो जाते।

प्रवचन से शिक्षा-संसार से अपने आप को आजादी करो
सकंलन ब्र महावीर