कभी अपने पिता की संपत्ति का बंटवारा नहीं करना, उसे अखंड ही रहने देना, कितने निकृष्ट बेटे होते हैं, जो पिता द्वारा बनाए हुए, घर में दीवार खिंचवाकर खंड खंड कर देते हैं:मुनिपुंगव श्री सुधासागर

0
1451

26 जुन 2021,देशनोदय चवलेश्वर – निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव मनोज्ञ108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचनमे कहा जो लुटाता है साहूकार कहलाता है जो लूटता है वह भिखारी, कर्महीन कहलाता हैं

1.बापकी संपत्ति-घर से तुम निकल निकल जाओगे नहीं तो घर एक दिन निकाले जाओगे चार लोग जब आपको निकाल जाओगे, उनके कंधो पर निकाले जाओगे, जिस घर में तुमने प्रवेश किया ,उस घर को कर्म एक दिन निकाल देगा, उसके घर तुम छोड़ दो, जो बेटा बाप के मकान मे मरता है, वह निकम्मा कहलाता है,जो अपने बनाए हुए मकान में मरता है, वह बेशर्म कहलाता है, अपने बनाए मकान में मरना बेशर्म पना कहलाता है, फिर बेटे के मकान मरना अच्छा कहलाता है, बेटा पिताजी के मकान मैं नहीं मरेगा और सकलप करे कि पिताजी को अपने बनाए मकान में नहीं मरने देगा, पिताजी के संपत्ति पूज्य है, उसको अपने उपयोग में नहीं ले भागा, पिताजी की सेवा करें उनसे मांगे बाप की संपत्ति के भरोसे लडना झगडना बंद कर देवे।

2.भिखमांग लेना मजदूरी कर लेनाm लेकिन कभी भी अपने पत्नी के पिता के धन पर दृष्टि मत रखना। ध्यान रखना, कभी अपने पिता की संपत्ति का बंटवारा नहीं करना, उसे अखंड ही रहने देना, कितने निकृष्ट बेटे होते हैं, जो पिता द्वारा बनाए हुए, घर में दीवार खिंचवाकर खंड खंड कर देते हैं।  भगवान राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न को देख लो, उन्होंने अपने पिता की संपत्ति का बंटवारा नहीं होने दिया, अयोध्या के खंड खंड नहीं किए।बस तुम एक नियम अपने जीवन में जरूर ले लेना कि अपने मां-बाप की सम्पत्ति को बटने नहीं देना।

3.छुटजाये उसके पहले छोड़ दो-भगवान बनने के लिए कर्म नोकर्म से ऊपर उठना पड़ेगा, सब साथियोंको छोड़ दे, मैं कैसा है कि मेरे साथ कोई नहीं है ,दिन हिन हु ,हमारी जिंदगी हम जी नहीं पाएंगे, हम परिवार के बगैर जीकर क्या करूंगा, भगवान महावीर ने कहा परिवार के बगैर सुखीहोकर दिखाओ, अहसाए होकर दिखाओ ,जैन दर्शन में जितना अहसाए बगैर किसी के रह सकता है, उसके बगैर रह कर दिखाओ, सब कुछ छोड़ने के बाद खुश हो कर दिखाओ ,सब कुछ छूट रहा है और एक छोड़ रहा है, सब कुछ छोड दो, नहीं तो एक दिन छुड़वा देंगे ,छोड़ दो, यदि छूटेगा तो कर्महिन हो कहलोगे

4.कषायसे अलग-हम छोड़ देते हैं, लेकिन हम मां बाप को छोड़ते हैं, कषाय से तुम उनसे बात नहीं करते, भोजन नहीं करते, देखते भी नहीं है, परिवार से अलग कषाय से अलग होंगे ,जन्म जन्म केबैरी होंगे एक दूसरे को मारने को तैयार हो जाओगे, मुंह नहीं देखना चाहते हो।

5.निवृत्त-दुनियाकी ये नीति है संसार में जितना निवृत्त होता जाता हैं , संसार तिरोहित करता जाता हैं , जब तक तुम्हारा संसार में मन लग रहा है, संसार छोड़ने वाला भक्ति अपना अस्तित्व खो देता है, जैन दर्शन ने एक खोज की संसार से छुटता जाता है, संसार के निकट नहीं होता, भगवान बननेके निकट होता जाता है ,संसार में जितने भी व्यक्ति है ,उन्होंने उनमें भगवान बनने की शक्ति है, संसार बनने की क भा भगवान बनने का भाव करोगे, भगवान की पार्टी के हो, राजनीति मे विरोधी माना जाता हैं

प्रवचनसे शिक्षा-अपने पूज्य बड़ों की संपत्ति को कभी भोग नहीं करना उसका बंटवारा नहीं होनेदेना। 

सकंलन ब्र महावीर