कोई भी कार्य करते समय सोचना मे अच्छे कार्य करके जा रहा हूं ,अच्छी वर्गणाए आयेगी,गंदा कार्य करने मे वर्गणाए भी खराब आएगी- मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी

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10 अप्रैल 2021 देशनोदय चवलेश्वर- निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव नवीन तीर्थ प्रेणता108श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
जितने हम दुखी नहीं हैं जितना हमारे ऊपर दुख नहीं है,उससे ज्यादा दुखी है
1.पाप कार्य को टाले-मुझे गुस्सा आया ,जहां पर जाने से मन में दुर्भाव आया एक उस स्थान पर ना जाएं, स्थान परिवर्तन कर ले, कुछ देर बाद कर ले ,उसका कोई पाप कार्य करने का दिमाग में आए, तो हम उस कार्य को टाले,अच्छा कार्य हो, तो उसी समय कर ले, नहीं तो वह कार्य नहीं होगा.
2.स्थान का महत्व-कोई भी कार्य करते समय सोचना मे अच्छे कार्य करके जा रहा हूं ,अच्छी वर्गणाए आयेगी,गंदा कार्य करने मे वर्गणाए भी खराब आएगी, इस स्थान पर पुण्य कार्य करने पर पुण्य वर्गणाए आएगी और लोगों के भाव उस स्थान पर अच्छे आयेंगे,खराब स्थान पर खराब भाव आयेंगे।
3.असंयमी के स्थान साधु को नही रहना,-साधु को कहा है जहां असयंमी रहता है, भोजन करके गया हो शयन करके गया हो, वहां साधु को नहीं रहना उस वस्तु का उपयोग नहीं करना, उस जगह पर नहीं बैठना उस जगह पर नहीं सोना है, कम से कम 48 मिनट तक आहार शयन आदि नहीं करना हैं।
4.कर्म से सजा कम-कोर्ट में अपील जो करते हैं ,वह सजा के लिए नहीं सजा कम से कम हो, अपराधी को सजा कम से कम भी ऐसा ही कर्म भी हमको बहुत मौका देता है कि हमको कम से कम सजा देता है, कर्म तो हमने बहुत किए हैं ,अपराधी बड़े हैं,लेकिन सजा बहुत कम मिली हैं।सजा जिसको मिली है, वह बहुत कम मिली, मैंने जिसको मारा उसने तो जिंदगी समाप्त ही कर दी ,परिवार समाप्त कर दिया ,मुझे तो 15 से 20 साल की सजा तो मिली है, जिंदा तो हूं मैं उसको जिंदगी समाप्त हो गई।
5.मन से दुखी ,ज्यादा-दुखों से कम दुखी होते हैं ,मैं दुखी क्यों हूं, ये सोचकर ज्यादा दुखी हैं ,दुख कम है, संकेल्ष ज्यादा है, आप परेशान है, दुख सहन नहीं हो रहा है, ये बहुत कम हो रहा है, दुखी हुयें ज्यादा होता हैं।
प्रवचन से शिक्षा-विरोध नहीं होना सत्य का लक्षण नहीं है,कही बार विरोध करने वाले कमजोर हो सकता
सकंलन ब्र महावीर