जमाई अपना पैसा सुसराल मे जमा कर रहा है, तो सास ससुर डाकु हैं, जिस घर में सास -बहू को ताला ना लगाएं, वह बहू नहीं, देवी है : मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी

0
985

25 जून 2021, देशनोदय चवलेश्वर- निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव मनोज्ञ108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
जमाई अपना पैसा सुसराल मे जमा कर रहा है तो सास ससुर डाकु हैं

1.संगठन-अपने संबंधों के बीच में जहां क्या शब्द आ जाए कि वह क्या बोलता है, क्या सोचता है, क्या करता है, तो समझना कि वह संबंध सच्चा संबंध नहीं है ,क्योंकि सच्चे संबंध में तो विश्वास होता है, मंदिर में जिसका मन लगता है जिसका घर में मन नहीं लगता, जिस घर में एक दूसरे की इज्जत और विश्वास करता है, वही संगठन का रहस्य एक दूसरे पर संदेह हुआ विश्वास खत्म हो गया, संबंध खत्म हो जाता है, हमारी दोस्ती में सब कुछ संदेह के घेरे में हैं, जो आपकी बुराई कमी ही देखने में बैठा है, इनमें कमी क्या है ऐसे बहुत लोग होते हैं

2.घर मे ताला-अपने घर वालों को कभी भी ताला मत लगाना, सासु कभी भी बहुत, बहु ताला ना लगाएं, बहू कभी सांसों की ताला ना लगाए, यदि तुम्हारे लिए कोई ताला लगा रहा है, तो समझ जाना कि मैं डाकू हूं, जिस घर में सास और बहू को ताला ना लगाएं, तो समझ लेना कि वह बहू नहीं, देवी है देवी। भाई बंधु एक दूसरे को के लिए ताला लगा रहे हैं, मतलब उस घर में डाकू रहते हैं, ससुराल में पैसा जमा मिलेगा, जब भी वस्तु को छिपाया जा रहा है, जिससे छुपाया जा रहा है, वह डाकू है ,सास-ससुर डाकू है

3.लक्ष्य साधन मे-व्यक्ति साध्य में नहीं भूलता साधन में भूलता है,मंजिल में नहीं भूलता रास्ते में भूलता है, लक्ष्य को प्राप्त करने की ललक है, वह ललक यदि लक्ष्य को प्राप्त करने के साधन में हो जाए, तो हमें स्वयमेव लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा। मोक्ष को प्राप्त करने की जितनी इच्छा है वह यदि मोक्ष को प्राप्त करने के साधन में हो जाए अर्थात रत्नत्रय में हो जाए तो स्वयमेव ही मोक्ष प्राप्त हो जाएगा ।

4.कुछ तो बड़े होकर भी इतने निकृष्ट हो जाते हैं और कुछ छोटे होकर भी इतने महान बन जाते हैं जैसे शांतनु व पितामह भीष्म ।
प्रवचन से शिक्षा-परिवार वालों के लिए ताला मत लगाओ
सकंलन ब्र महावीर