मंत्र तंत्र करने वालों का अंत कभी भी अच्छा नहीं होता, सिद्धियों को ढिंढोरा पीटने वाले जेल में रहते हैं : मुनिपुंगव श्री #सुधासागर जी

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22 जुन 2021, देशनोदय चवलेश्वर – निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव ज्ञान ध्यान तपो रक्त108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
धर्मात्मा बनने से संबंध टूटते नहीं है, संबंध बढ़ जाते हैं,धर्म वह संबंध बनाता है ,जो हमेशा बना रहता है

1.बडे आदमी-बड़े आदमी को सबसे ज्यादा डर लगता है, क्योंकि वह शक्तिमान और समर्थवान होता है ओर उसके दुश्मन सबसे ज्यादा होते हैं ,धनवान व्यक्ति को सबसे ज्यादा लगता है क्यो,कि उसके पास धन ज्यादा होता है ,बडे आदमी जो बड़े आदमी होते हैं, वह हमेशा भय में रहता हैं ,जितने बड़े आदमी होते है, वह भयशील होता है, वह पूरी उम्र कभी नहीं जी पाते, उनको हमेशा नींद नहीं आती ,नींद की गोलियां लेकर सोना पड़ता है, उनको हमेशा अपनी मौत का अपने धन का चुराने का भय बना रहता है ,गरीब आदमी पूरी जिंदगी अपनी जीता है, उसको नींद अच्छी आती है।

2.मा बेटे-आज माता-पिता की वजह से कितने बेटे दुखी हैं और कितने बेटों की वजह से माता-पिता दुखी है, इस बात का विचार करो, जिंदगी में तुम सारी दुनिया के अभिशाप ले लेना, लेकिन तुम्हारे मां-बाप की मन में एक बार भी यह भाव आ गया कि मैं बेटों से दुखी हूं,मैं बेटों से परेशान हूं, इससे अच्छा तो यह नहीं होता, तो ठीक होता, यह अभिशाप सो सो भवो तक तुम्हे नपुंसको में जन्म दिलाएगा ध्यान रखना ।
3.मंत्र तंत्र-मंत्र तंत्र करने वालों का अंत कभी भी अच्छा नहीं होता, सिद्धियों को ढिंढोरा पीटने वाले जेल में रहते हैं, घर में सिद्धि नहीं होती जो जो देवताओं की शादी करके, देवताओं से अपना काम निकालते हैं, उनका मरण अच्छा नहीं होता

4.साधु की आंखे-हवांए जब मुनि के स्पर्श करती है ,वह भी अपने आपको धन्य हो जाती है, गांधारी ने अपनी आंखों से वह शक्ति पाली जिसका वह जिसको भी देख लेते ,वह वज्रमय हो जाती है, वह देखती तो भी वो शक्ति नहीं प्राप्त कर पाती है, लेकिन आंखें बंद रखने से वह ऐसी शक्ति पाई कि जिसको देखेगी, वह वज्र में हो जाएगा, ऐसे ही साधु अपनी वह शक्ति पाता है कि जिस को देखता हुआ, धन्य हो जाता है, साधारण आप नहीं होती, किसी से राग द्वेष नहीं करता ।

5.साधु बनने पर परिवार-साधु जब परिवार से अलग होता है, लेकिन जब वह मुनि बनकर निकलता है ,तब उसके परिवार को जो इज्जत नहीं सोची थी, वह इज्जत मिलती है ,देवता लोग भी उस परिवार का सम्मान करते हैं, साधु घर में रहकर इज्जत नहीं पापा था, उतना जब वह मुनि बनकर पूरे परिवार को व स्वयं की इज्जत बढ़ जाती है, दुनिया विशाल हो जाएगी ,मान सम्मान बढ़ जाएगा ,एक छोटा सा व्रत लेने पर अयक्ष कीर्ति नाम कर्म का हट जाती है

6.धर्म संबंध-दुनिया में रहकर अपनी पहचान बनाओ, लोग यह समझते हैं कि धर्म दुनिया से अलग कर देता धर्म वह चीज है ,जो तुम्हें चाहिए, उसके सर्वोच्च शिखर तक पहुंचा देता है, राजनीति अपने से विचार मिले, उसी से दोस्ती कराती है, धर्म सबसे मित्रता कराता है, सबको मित्र बनाता है, तुमसे दो लोगों की चिंता मत करो, हम सोचते हैं, धर्म ने हमारा परिवार छुड़ा दिया, बल्कि तीन लोग को अपना परिवार बना देता है ,धर्मात्मा बनने से संबंध टूटते नहीं है, संबंध बढ़ जाते हैं, धर्म वह संबंध बनाता है, जो हमेशा बना रहता है, सारा संसार विशाल हो जाएगा, सारा जगत तुम्हारी संपत्ति हो जाएगा, उसे महसूस हो

प्रवचन से शिक्षा- संसार में कोई भी अपना नहीं है, इसलिए भय नहीं करो, भय से रहित हो जाओ
सकंलन ब्र महावीर