देशनोदय चवलेश्वर – निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव प्रखर वक्ता108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
अधिक से अधिक जीव की सुरक्षा के लिए जन्म दो, जिससे मांसाहार से बचें जैनी बनाये
1.परीवार नियोजन-माता पिता जब बच्चे को जन्म देने का सोचे, एक जीव की सुरक्षा देने के लिए जन्म देने ज्यादा से ज्यादा, जीवो को अपने घर में जन्म देकर, उनसे शाकाहार का रहेगा, जितने मेरे यहां जन्म हुआ, शाकाहार होंगे ,हम अधिक से अधिक जैनी बनाये
2.रंगमंच-परिवार में हमारे सभी हैं, वह हमारे है, लेकिन वह कभी भी धोखा दे सकते हैं ,इसलिए इनसे राग मत करो,बारह भावनाओं पर चिंतन करो, सब स्वार्थ के सीरी हैं ,कोई ना कोई मजबूरी है इसके बिना जिंदगी में कुछ भी नहीं है, ये संसार रंगमंच है नाटक हो रहा है
3.ठोकर खाने वाले बडे आदमी-किसी भी आत्मिक शक्ति को प्राप्त करने के लिए, पर से उपयोग हटाना पड़ेगा, सहारा देने वाले व्यक्ति की शक्ति जागृत नहीं हुई होती है, जितने भी महान आत्मा बने हैं, वह ठोकर खाने वाले किसी ने सहारा नहीं दिया ,वही महान बनते हैं, कुछ बिगड़ भी जाते हैं
प्रवचन से शिक्षा- 12 भावनाओं का चिन्तन करे।
सकंलन ब्र महावीर