देशनोदय चवलेश्वर – निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव शान्ति धारा दिवस प्रेरक108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
भूदान करोगे तो अगले भवो में चक्रवर्ती जैसे पद पाओगे
1.भुदान-हमारे पास जमीन जायदाद थी हमारे बहुत जमीन पर जमीन का दान नहीं दिया आज हमारे पास बहुत जमीन पड़ी थी तीर्थ क्षैत्र क्षेत्र को दान नहीं दिया तो अगले भवो मे जमीन प्राप्त नही होगी।यदि भविष्य में तुम फुटपाथ पे जन्म नही लेना चाहते हो तो किसी न किसी के लिए आवास की व्यवस्था जरूर करना ,अपने जीवन में एकबार भगवान का मंदिर जरूर बनाना,सन्तशाला जरूर बनाना,किसी गरीब के लिए रहने की व्यवस्था जरूर करना,यदि भविष्य मे फुटपाथ पर जन्म नही लेना चाहते हैं हमारा जीवन कहीं ऐसा ना हो जाए कि आज तुम्हारे पास जमीन है मकान है धन संपत्ति है और अगले भव में तुम्हे रहने के लिए जगह ही ना मिले ।
2.अनिष्ट-अनिष्ट क्या है जिसके आने पर आपका उत्साह नहीं हो मजबूरी में करना पड़े वो अनिष्ट हैं भय के कारण लोक लाज के कारण एक मजदूर मजदुरी नहीं करना चाहते वो सब अनिष्ट हैं जिन जिन कार्यों में मन नहीं लगता परिवार से अलग होना माता-पिता से अलग होना चाहते हैं परिवार से पत्नी पंसद नहीं हैं तो सब अनिष्ट में डाल दो,मन्दिर जाने में मजबूर हो,अभिषेक,शान्ति धारा मजबूरी मे करते हैं क्योंकि सभी अनिष्ट दुर हो जाते हैं ये सब अनिष्ट मे डाल देना,ये सब अच्छे कार्य संबंध है हमारे उपकारी है उनके प्रति हमारी अरुचि भाव है हमारी है प्रकृति हमारी मां कहती है जो जो कार्य अनिष्टकारी हैं उनको उसकी जिंदगी में से हटा दो उस मां-बाप पसंद नहीं हटा दो सम्मुर्छन में जन्म होगा।
3.व्यक्ति के मन में जिज्ञासा होती है कि अनिष्ट का सहयोग नहीं हो इष्ट का संयोग नहीं हो इच्छाओं की पूर्ति हो यह सब प्रश्न सबके उड़ते हैं उनका समाधान चाहते हैं।
प्रवचन से शिक्षा-सब वस्तुएं अच्छे कार्य संबंध है हमारे उपकारी है उनके प्रति हमारी अरुचि भाव है अगले भवो मे ये सब प्राप्त नहीं होगी
सकंलन ब्र महावीर