देशनोदय चवलेश्वर- निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव तीर्थोद्धारक108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
जहां आप आज हो कल मैं वहां आऊंगा, भक्ति सार्थक हो जाएगी
1.भेद नहीं अभेद-आप किसी भी पदार्थ से मिले हो तो, एकमेक हो जाओ वात्सल्य होना चाहिए, भेद को अभेद करता है तुम किसी भी पर्दाथ से मिलो, ऐसे हो जाओ जैसे एकमेंक हो जाओ।
2.वीतरागी होगा तो संसार की वस्तु को देखकर आँख झुका लेगा,,रागी होगा तो आँख उठा लेगा ।
3.छोडने की तैयारी-मां ने छोटी सुखी वस्तु दी और दूसरे व्यक्ति ने मिठाई आदि दी, हम आकर्षित हो जाते हैं, हम सबके बीच में रहकर सुखी महसूस कर रहे हैं, हम सभी वस्तुएं नहीं हूं, तो हमारी क्या तैयारी है, समयसारजी की कक्षा में सब छोड़ने के बाद आप की क्या तैयारी हैं।
4.वास्तविक धर्म क्या है, जिस धर्म को हम धर्म मान रहे हैं, धर्म तक पहुंचने का साधन है, रतन्त्रय भी मोक्ष मार्ग है, मोक्ष नहीं, रत्नत्रय पालन करके धर्मात्मा नहीं, आप धर्म के अभिमुख हो, आपकी जिंदगी पराश्रित हैं।
प्रवचन से शिक्षा-दर्शन के बाद भगवान को अपना रूप बनाना
सकंलन ब्र महावीर