देशनोदय चवलेश्वर – निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव ज्ञान ध्यान तपोरक्त108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
पहले दुख में कोई याद आता था आपने अपनी जिंदगी में उसके प्रति द्वेष किया भव भव में आपका विनाश होगा
1.दुख मे याद कोन-हमारी दृष्टि में सबसे ज्यादा शक्तिमान कौन आपकी जिंदगी में कोई सहारा नहीं बचा है, किम् कर्तव्य मुढ़ हो, तब आपके मन में कौन याद आ रहा है वह आपके लिए सबसे बड़ी शक्ति है, यदि आपने अपने मुख से जो सबसे ज्यादा चाहता है, उसके मुंह से उसके लिए द्वेष भर दिया, फिर उसका विनाश निश्चित है, हजारों भवो तक वो अनाथ होगा।
2.मां की रोटी का अपमान-हम घर का भोजन का टिफिन लेकर गये हमे वहां कोई बाहरी आदमी भी सम्मान के साथ भोजन करा रहा है हमने अपना मां पत्नी बहन की भावनाओं को छोड़कर बहारी आदमी का भोजन कर लिया और वह टिफिन को छोड़ दिया है जो भोजन का टिफिन मां की भावनाओं का था उसको निश्प्रयोजन करार दे दिया हमने अपनी मां की हाथ की रोटी का अपमान किया यह हमारी बद्दुआ है।
3.पराधीन नहीं होना-जो कुछ हमारे पास है वो यदि चला गया तो हमारी क्या तैयारी है इसके बिना मेरी क्या तैयारी है आध्यात्मि ग्रंथ कहते हैं कि पर का उपयोग जरूरत के समय करना चाहिए,पैदल चलकर जा सकते हैं तो गाड़ी की जरूरत क्या है पराधीन नहीं होना चाहिए गाड़ी के बिना भी चल सकता है।
प्रवचन से शिक्षा-हमे अपनी मां बहन पत्नी की रोटी,उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
सकंलन ब्र महावीर