कोई भी बुराई जुआ शराब हम से नहीं बंधी हैं हम स्वयं जुआ शराब बुराइयों से बंधे है और आरोप दुनिया पर लगा रहे: मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी

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देशनोदय चवलेश्वर – निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव विद्धत्कल्पतरु108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
जब हम दूसरों की बुराई करके आते हैं तब हम खुद बुरे होकर आये है

1.बुराई नहीं करना-जो दुसरे का बुरा विचार करता है उसको भी डर लगता हैं कि कोई मेरे सम्बन्ध में भी बुरा विचार कर रहा होगा,दुसरे की बुराई करते समय ये सोच लेना कि ज्ञानीयो की दृष्टि में तुम क्या रहोगे ।

2.निमित्त पर आरोप दो-संसार में व्यक्ति स्वयं फंसता है तो उसे अपने परिवार परिवार वाले जो अभी संसार में नहीं फंसे हैं उन्हें संसार में पार होने के लिए आज्ञा देनी चाहिए हमें निमित्त पर आरोप नहीं देना है अपना उपादान को मजबूत करो और निमित्त को छोंडकर ऊपर उठो तो संसार में मत फंसो।

3.शराब से हम बंधे-हम खुद कर्मों से बंधे हैं और कहते हैं कर्मों ने हमें बांध रखा है कोई भी बुराई जुआ शराब हम से नहीं बंधी हैं हम स्वयं जुआ शराब बुराइयों से बंधे है और आरोप दुनिया पर लगा रहे।

4.हमारी भुल-जो व्यक्ति के मन में हीन भावना आती है तो उसके मन में भावना आती है सब लोग मेरा शोषण कर रहे हैं दुनिया मेरे को देख रही है या मैं दुनिया को देख रहा हूं दुनिया हमारे बारे में नहीं सोच रही लेकिन हम सोचते हैं कि दुनिया हमारे बारे में सोच रही है दुनिया को आप से कुछ नहीं पड़ी है हमें संदेह होता है।

प्रवचन से शिक्षा-उपादान को मजबूत करो,निमित्त के आंसरे मत रहो

सकंलन ब्र महावीर