बड़ों की बुराई नहीं करना, नहीं तो वह आपको नाश कर देगा, आपका धर्म बिगाड़ देगा अच्छाई ही देखना है: मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी

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देशनोदय चवलेश्वर- निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव वाग्भि108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
छोटे को गलती बड़े में देखें तो यह भाव करें कि मैं कितना दुर्भाग्यशाली हूं कि मैं बड़े मे गलती देख रहा हूं मुझे धिक्कार है

1.बड़े में दोष नहीं देखना-आप बड़े बनने लायक है कि नहीं बड़े के गुण देखने का भाव आया है कि आपको बड़े के दोष देखने का भाव आया है, यदि गुण देखने का भाव आ रहा है, आप बड़े बनने लायक हैं, आपके यदि बड़े के दोष देखने का भाव आ रहा है और आप देख रहे हैं, तो दृष्टि में देख रहे हैं तो आप बड़े बनने लायक नहीं है, बड़े जो होते हैं वो छोटे की गलती को देखते ही नहीं उनकी गलती को देखकर आंखे फेर लेते हैं ओर छोटे बड़े की गलती को देखकर बहुत गौर से देखता है, उनकी गलती को देखकर उनकी मजबूरी का फायदा उठाने का भाव आ रहा है, छोटे को गलती बड़े में देखें तो यह भाव करें कि मैं कितना दुर्भाग्यशाली हूं कि मैं बड़े मे गलती देख रहा हूं, मुझे धिक्कार है मैं अपने गुरु भगवान बड़े पुरुष में गलती देख रहा हूं, मैं पापी हुं कि बडे़ मे दोष देख रहा हुं।

2.बडों की प्रशंसा करो-राजा पापी हो तो भी उसको पापी कहा तो वह बर्बाद कर देगा, शक्तिहीन को बलवान की बुराई नहीं करना है, छोटे की बर्बादी का यही कारण है कि आपने बड़े की बुराई सुनी है, करी है, बड़ों की बुराई नहीं करना, नहीं तो वह आपको नाश कर देगा, आपका धर्म बिगाड़ देगा अच्छाई ही देखना है कि यह राजा है, धनवान है क्योंकि पूर्व में उसने पुण्य किया, मंदिर बनवाया छत्र बनाएं, सिहासन दिया, इसलिए बड़ा बना राजा बना, अमीर से ईर्ष्या नहीं करना, उनकी प्रशंसा करोगे, तो वह आपको बड़ा आदमी बना देगा।

3.गुरु शिष्य-जिन्होंने गुरु में दोष नहीं देखते, उनमे गुण देखते हैं, तो एक दिन गुरु बनते गुरु जब शिष्य के दोष बताएं और शिष्य गुरु को जवाब दे दे, तो गुरु शिष्य को प्रायश्चित नहीं दे, वह बड़ी गलती करे तो गुरु को कुछ गलत कह दे ,तो वह अपने शिष्य को शिष्य नही माने

4.मजबुर नहीं होना-जो सृष्टि है उसमे पांच द्रव्य है, वह स्वयं का परीणमन में सक्षम है, पुदग्ल द्रव्य अपनी जाति का सहारा लेना पड़ता है, विभाव के समय पुदग्ल नहीं चाहता, किसी से संबंध बना कर विजातीय संबंध नहीं बनाता है जीव द्रव्य ऐसा है जो विजातीय का सहारा लेता है, जो दूसरे को मालूम पड़ता है कि वो मजबूर है, तो सामने वाला हमें ब्लैकमेल करेगा इसलिए हमने आपको किसी के सामने मजबूर तो नहीं हो,आप कमजोर तो नहीं है, पर की जरूरत नहीं है, हम मर सकते हैं, लेकिन पर का सहारा नहीं लेता है ,याचना नहीं करूंगा कोई आपकी मजबूरी का फायदा तो नहीं उठा रहा है ,भीक्षु को मांगने का भाव आया है, तो भीक्षु भिखारी हो रहा है।

प्रवचन से शिक्षा-बड़ों में जो दोष नहीं देखता वो एक दिन बड़ा बन जायेगा
सकंलन ब्र महावीर