जैन धर्म का ह्रास का मुख्य कारण है, जैन लोगों व संतों ने धर्म की रक्षा के लिए सहयोग नहीं लिया ,ऋणी होना पड़ेगा : मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी

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11 मई 2021, देशनोदय चवलेश्वर- निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव रिद्धि सिद्धि भक्तामर मंत्रों के निर्देशक108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
बहू को शादी करने के पहले उसका कर्जा चुका कर लाना है तो वह बहु लक्ष्मी के रुप मे आयेगी

1.प्रशंसा के लिए कार्य नहीं-आपकी कोई प्रशंसा कर रहा है, आपको उस प्रशंसा मे रस आ रहा है, तो आप का अतिषय खत्म हो जाएगा, जब आपकी प्रशंसा में आप डूब गए तो, आपकी सुंदर सी काया में कोंड़ निकल आया,

आपने कोई प्रशंसा का कार्य करा है, फिर भी आप प्रशंसा में खुश मत होना, नहीं तो आपका पतन हो जायगा, आपका पुण्य क्षीण हो जाएगा,प्रशंसा के लिए कार्य नहीं किया, प्रशसनीय कार्य किया है राजा सनतकुमार चक्रवर्ती का उदाहरण दिया जिनको कोंड़ निकल आया।

2.बहु को कर्जे मे मत लाना-बेटी की शादी को कर्जा लेकर मत करना बारात को पानी पिला देना, भोजन नहीं करा सकते हो तो मत कराना,बेटी को एक साड़ी व एक मंगलसूत्र में विदा कर देना, नहीं तो फिर घर में बहू गई है, घर का शगुन बिगड़ जाएगा बल्कि उस घर कर्जे में डूब जाएगा,

बल्कि जो बेटी पढाई की जिसने कराई उसने पढ़ाई की बेटी की कमाई सुसराल में आ रही है ,तो बहू की कमाई को कर्जा बहू की परिवार को चुका देना चाहिए, बहू का कर्जा चुका कर लाना है, बहू को शादी करने के पहले उसका कर्जा चुका कर लाना है, तो वह बहु लक्ष्मी के रुप मे आयेगी।

3.जैन धर्म का ह्रास का कारण-जो सहयोग मांगते हैं, उनका जिंदगी भर सहयोग नहीं करता और जो सहयोग नहीं लेते ,पूरी दुनिया उनका सहयोग नहीं करना चाहती है, धर्म की रक्षा के लिए राजा का सहयोग नहीं लेगा,जैन धर्म का ह्रास का मुख्य कारण है, जैन लोगों व संतों ने धर्म की रक्षा के लिए सहयोग नहीं लिया ,ऋणी होना पड़ेगा, ऋण लेकर सहयोग करना उचित नहीं, मिठाई खाना सही नहीं।

4.कुवत से ज्यादा ऋण नहीं-चैतन्य जीवो को हम सहयोग लेंगे हम, हम उनका सहयोग लेंगे, हमें उनका ऋण ब्याज समेत चुकाना पड़ेगा, हम किसी से कई स्थानांतरण होता है, तो प्रमाण पत्र लेना पड़ता है,

कर्जा लेकर मिठाई खाना ठीक नहीं,कर्जा तभी लेना चाहिए, जब निकट भविष्य में उसको आप चुका सकते हैं ,ऋण नहीं चुका पाओगे, अंत में आत्महत्या करोगे या फरार होंगे, ऋण लेकर काम करने वाले ही दिवालिया होता हैं।

5.ध्यान के लिए आपको अपना चारित्र की आवश्यकता मैं जाएंगे, आपको पात्रता देखनी है, ध्यान के लिए उसका खान पीन रहन सहन कैसा है।
प्रवचन से शिक्षा-प्रशंसा के लिए कार्य नहीं किया प्रशंसनीय कार्य किया
सकंलन ब्र महावीर